ग्रन्थ-क्रम में पिछली तीन रचनाओं से कुछ 'वासना-रोगी' बिगड़े दिल अमीर शहजादों द्वारा ,विवाह का झाँसा देकर ज़रूरतमन्द कंगाल भोली कमसिन-
'अच्छे बुरे', 'उंच-नीच' से अनजान किशोरियों -बालाओं को फांस कर उन्हें बरबाद कर के यौन-अपराधों की और संकेत किया गया है | 'सफ़ेद-पोश शराफत' की आड़ में क़ानून की आड़ में होने वाले ये 'यौन-अपराध' भारत के लिये घातक हैं |आये दिन 'किशोरी-आत्महत्या-गर्भ-पात और 'बालाकिशोरी हत्याओं की घटनाओं की खबरें पढने को मिल जाती हैं | (सारे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार)
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कुछ धनवानों की ‘कलुष कुनीति’ की सह मार |
निर्धन
बस्ती में दुखी,
है आधा संसार
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‘अनाचार-वन’
में
बसे,
‘दुराचार
के
मोर’
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‘पश्चिम जगत की सभ्यता', वाले धनिक किशोर ||
जाते ‘मैली बस्तियों’, में ले ‘काम-कुजाल’
|
‘रति-हिरणी-आखेट’ हित, ये ‘कुबेर
के लाल’ ||
खोज ‘नवेली -
चुलबुली, ‘बालायें सुकुमार’ |
निर्धन
बस्ती में दुखी, है
आधा संसार ||१||
दिखा ‘लोभ-भय’ या कोई, ‘आकर्षण’, ‘मन’
खींच |
‘काम-कुरस’ से ‘बेलि-रति, की जड़’
देते
सींच ||
‘कपट-डोर’, ‘रति-रूप’ की, उड़ती ‘काम-पतंग’
|
उच्छ्रंखल बन्धन-रहित, इन का ‘धूर्त अनंग’ ||
करते हर ‘आपत्ति’
का, ये ‘कामी’ उपचार |
निर्धन
बस्ती में दुखी, है
आधा संसार ||२||
कहते हैं, “हम तुम्हीं
से, ‘प्रिये’ करेंगे
ब्याह |
और इस तरह
से इन्हें, मिलती ‘रति की राह’ ||
‘कामी’ जी भर भोग ‘सुख’,
उस को देते
छोड़ |
ज्यों पी कर, छक कर कोई, ‘सुरा-पात्र’ दे तोड़ ||
रोतीं
अपना ले लुटा, पिटा ‘सुभग-श्रृंगार’ |
निर्धन
बस्ती में दुखी, है
आधा संसार ||३||
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.सार्थक भावनात्मक अभिव्यक्ति आभार .. हम हिंदी चिट्ठाकार हैं.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति ..आभार अख़बारों के अड्डे ही ये अश्लील हो गए हैं .
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