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मंगलवार, 21 अक्तूबर 2014

धन्वन्तरी- कुबेर (धन-तेरस पर विशेष !)

                              (सरे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार) 
                
            रोग हरें, सब दुःख हरें, हे प्रभु देर-अबेर !
            कृपा करें सब पर अरे, धन्वन्तरी- कुबेर !!
            निर्धनता लक्ष्मी हरें, सुखी करें सम्पन्न !
            सारे लोग प्रसन्न हों, मत हों कहीं विपन्न !!
            वैर-भाव सब त्याग दें, अपनायें सब प्रेम !
            अशुभ-अशिव हों दूर सब, होवे सब की क्षेम !!
            प्रकाश उपजे प्रीति का, हो न घृणा-अन्धेर !
            कृपा करें सब पर अरे, धन्वन्तरी- कुबेर !!1!!
            दुःख-हारी सब के लिए, हो धनतेरस पर्व !
            करें हम सभी अज से, मानवता पर गर्व !!
            डसे किसी को अब नहीं, अहंकार का सर्प !
            उदार हों धनवन्त सब, करें न धन पर दर्प !! 
            सुख पायें वे सब जिन्हें, लिया दुखों ने घेर !
            कृपा करें सब पर अरे, धन्वन्तरी- कुबेर !!2!!
            खूब कमायें धन सभी, निर्धन को दें दान !
            भेषज-ज्ञानी वैद्य सब, देवें जीवन-दान !!
            निर्धन भी नीरोग हों,पायें सब उपचार !!
            रहें रोग से दूर सब, टूटें कष्ट-कुठार !! 
            मानवता के पटल पर, दें हम प्रेम उकेर !
           कृपा करें सब पर अरे, धन्वन्तरी- कुबेर !!3!!
                  
                                    

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साहित्य समाज का दर्पण है |ईमानदारी से देखें तो पता चलेगा कि, सब कुछ मीठा ही तो नहीं , कडवी झाडियाँ उगती चली जा रही हैं,वह भी नीम सी लाभकारी नहीं , अपितु जहरीली | कुछ मीठे स्वाद की विषैली ओषधियाँ भी उग चली हैं | इन पर ईमानदारी से दृष्टि-पात करें |तुष्टीकरण के फेर में आलोचना को कहीं हम दफ़न तो नहीं कर दे रहे हैं !!

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