‘बाल-विवाह’ यद्यपि सम्भ्रान्त-विकसित देशों में न के बराबर है किन्तु फिर भी चोरी छिपे पैसे के लोभ में कुछ परिवार अपनी बेटियों को अमीरों या दबंगों के हाथ बेच देते हैं | विदेशों की एकाध खबर बहुत ही वृद्ध अमीर पुरुष द्वारा अति छोटी आयु की लडकी के साथ विवाह की घटनाएँ प्रकाश में आयीं हैं | बहुत निर्धन माँ बाप दहेज़ की मार से बचने के लिये कहीं पर मजबूर हैं
(सारे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार)
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‘निर्धनता’
ने जठर’ से,
लड़ी है ऐसी
‘जंग |
अरे ‘विवशता’
की लगी, ‘शील’ में
‘मैली जंग’ ||
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‘तन के
लोलुप लक्ष्मी, के
मतवाले लाल’ |
‘भूख की
मारी’ देख कर, ‘चारा’ रहे
हैं डाल ||
कुछ ‘बाजों’
की देखिये, बड़ी घिनौनी
सोच |
‘छोटी
चिडियाँ’ फांस कर,
‘पर’ लेते हैं
नोच ||
सौंपी
‘काया’ भूख से,
होकर उसने तंग |
अरे ‘विवशता’ की
लगी, ‘शील’ में ‘मैली जंग’ ||१||
बिन ‘दहेज़’ उस
विधुर ने, किया है ‘बाल-विवाह’ |
‘कोमल कलिका - पंखुरी’, टूटी
भरती आह ||
‘बोझ’ वासना के सहें, कैसे
‘कोमल अंग’ |
‘कच्चे नाज़ुक
सूत’ से, उड़ती
नहीं ‘पतंग’ ||
‘बचपन’ के फीके
हुये, ‘रूप के खिलते
अंग’ |
अरे ‘विवशता’ की
लगी, ‘शील’ में ‘मैली जंग’ ||२||
‘हविश की उँगली’
ने किये, इतने
‘निठुर प्रहार’ |
‘नादाँ
कमसिन् बीन’ के,
टूटे ‘नाज़ुक तार’ ||
‘भारी
अजर’ ‘मेमने’, को
ज्यों रखे, लपेट |
‘नन्हीं कलियाँ’
चढ़ गयीं, ‘गज के पाँव’ की भेंट ||
‘छोटी हिरणी’
किस तरह, रहे
‘बाघ’ के संग |
अरे ‘विवशता’ की
लगी, ‘शील’ में ‘मैली जंग’ ||३||
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‘बाल-विवाह’ यद्यपि सम्भ्रान्त-विकसित देशों में न के बराबर है किन्तु फिर भी चोरी छिपे पैसे के लोभ में कुछ परिवार अपनी बेटियों को अमीरों या दबंगों के हाथ बेच देते हैं | विदेशों की एकाध खबर बहुत ही वृद्ध अमीर पुरुष
द्वारा अति छोटी आयु की लडकी के साथ विवाह की घटनाएँ प्रकाश में आयीं हैं |
आपने तो घातक प्रहार किया है ,देखिये कितने लोगो की आँख खुलती है.
जवाब देंहटाएंसलाह देने से से मनको तसल्ली होंती है कि मैने फर्ज पूरा किया | समाज के सही रूप को सामने लाने के ही कारण साहित्य एक दर्पण है !
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