(सरे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार)
छोट-बड़े का भेद तज, हों सब आज समीप !
भेद-भाव को त्याग कर, साथ जलायें दीप !!
दूर हुये जो रूठ कर, उन्हें मनायें आज !
टूटन-टूटन में बंटा, जोड़ें सकल समाज !!
प्रेम-नगाड़े पर लगे, ऐसी प्यारी थाप !
आवाजों पर खुलें दिल, हर कुण्ठा हो साफ़ !!
एक साथ झूमें सभी, निर्धन या कि महीप !
भेद-भाव को त्याग कर, साथ जलायें दीप !!1!!
चलो बुहारें हर डगर, करें हर गली स्वच्छ !
मैल मिटे हर तरह की, परोक्ष या प्रत्यक्ष !!
भागें मुहँ काला किये, काले-कलुष विकार !
हर अन्धेरे पर करें, प्रकाश की बौछार !!
घृणा-वैर-तम में जलें पजरें प्रेम-प्रदीप !
भेद-भाव को त्याग कर, साथ जलायें दीप !!2!!
लगे बुहारी प्रीति की, मिटे मनों की मैल !
दोष-मलिनता-रहित हो, हृदय-हृदय की गैल !!
चमक-दमक से
पूर्ण हो, हर घर का परिवेश !
तभी दिवाली
सार्थक, कर सकता यह देश !!
चमकायें हर
सदन को, रँग-रोगन से लीप !
भेद-भाव को त्याग कर, साथ जलायें
दीप !!3!! (गैल=गलियारी)