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शनिवार, 10 नवंबर 2012

दीपावली की रचनाएँ(१)दिवाली आयेगी(व्याजोक्ति)


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            अपने साथ में ‘लाखों खुशियाँ’ लायेगी |
            चन्द दिनों के बाद ‘दिवाली’ आयेगी ||
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         ‘मिष्ठान्न’ सी हो ‘मिठास’, ‘व्यवहारों’ में |
         ‘दीपों’ जैसी उभरे ‘ज्योति’, ‘विचारों’ में ||
         ‘खील-बताशों’ सी हों ‘खुशियाँ खिली खिली’-
         ‘जीवन’ सज जाये, ‘सुन्दर उपहारों’ में ||
         लिये ‘सुरक्षा’ जले ‘सकल आतिश बाजी’-
         ‘फुलझड़ियों’ सी ‘हर्ष की घड़ियाँ’ आयेंगी ||
         चन्द दिनों के बाद ‘दिवाली’ आयेगी ||१||

        ‘धन तेरस’ पर लोग ‘इरादा नया’ करें | 
        ‘धन-हीनों’ पर, ‘धन वाले’ कुछ ‘दया’ करें ||
        ‘धन की पूजा’ करें, ‘त्याग का भाव’ लिये-
        सभी इस तरह ‘सारा जीवन’ जिया करें ||
        ‘यम’ को वश में करें, ‘नियम’ को साध के हम-
        ‘नरका चौदस’ हम को यही सिखायेगी ||
        चन्द दिनों के बाद ‘दिवाली’ आयेगी ||२||

        ‘गोवर्धन’ का अर्थ, ‘गाय का वंश’ बढे | 
        दूध, दही, घी की न कहीं भी कमी पड़े ||
        भरे रहें ‘भण्डार अन्न’ के सभी जगह –
        मत ‘महँगाई’, आसमान’ पर और चढ़े ||
        ‘भ्रष्टाचारों पर जब ‘यम का दण्ड’ पड़े-
        तभी देश में फिर ‘खुशहाली’ आयेगी ||
        चन्द दिनों के बाद ‘दिवाली’ आयेगी ||३||

        “प्रसून”, ‘भैया दूज’, ‘बड़ी मन-भावन’ हो |
        भाई-बहन का रिशता, ‘पानी-चन्दन’ हो ||
        ‘त्याग-भाव’ हो दोनों के सम्बन्धों में-
        ‘यह नाता’, ‘गंगाजल जैसा पावन’ हो ||
        ‘इस नाते की आड़’ में ‘कोई पाप’ न हो-
        तब ‘इस देश की धरा’, ’स्वर्ग’ बन जायेगी ||
        चन्द दिनों के बाद ‘दिवाली’ आयेगी ||४||
  
         

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साहित्य समाज का दर्पण है |ईमानदारी से देखें तो पता चलेगा कि, सब कुछ मीठा ही तो नहीं , कडवी झाडियाँ उगती चली जा रही हैं,वह भी नीम सी लाभकारी नहीं , अपितु जहरीली | कुछ मीठे स्वाद की विषैली ओषधियाँ भी उग चली हैं | इन पर ईमानदारी से दृष्टि-पात करें |तुष्टीकरण के फेर में आलोचना को कहीं हम दफ़न तो नहीं कर दे रहे हैं !!

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