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मंगलवार, 23 अक्तूबर 2012

मेरी पुस्तक- 'शंख-नाद' से - !जय बोलो श्री राम की!(अर्द्ध हास्य')



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  •    !जय बोलो श्री राम की
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  •    जय बोलो श्री राम की!           
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  •      ‘माल मुफ्त का’ खाने वाला |
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  •  ‘थुल थुल पेट’लिये है‘लाला’ ||

  • ‘पूजा-घर’ में फेर रहा है-
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  •      लिये हाथ में‘तस्वीह-माला’ ||
  •    
  •    ‘ध्यान’में‘ग्राहक’,’मन’में‘ दौलत’-

  •    चिन्ता लगी है ‘दाम’ की |

  • जय बोलो श्री राम की !
  •       
  •   जय बोलो श्री राम की !!१!!

  •  

  •     ‘उजले-उजले कपड़े’ पहने |
  •       
  • गले में ‘मणि-मोती के गहने’ ||
  •  
  •      ‘नीयत’ में है ‘खोटा सिक्का’-

  •      ‘सम्बोधन’ में ‘माता-बहनें’ ||

  •      ‘लम्बा प्रवचन’,‘उपदेशी’ का-

  •    ‘धूम मची है’ ‘नाम’ की ||   

  • जय बोलो श्री राम की !

  •       जय बोलो श्री राम की !!२!!


  •  
  • ‘पीली,लाल,सफ़ेद टोपियाँ’ |
  •        बने ‘कन्हैया’, साथ ‘गोपियाँ’ ||
  •        ‘मोती’ स्वयं ‘टटोल’ भर लिये-
  •    बाँट के सब को,’रिक्त सीपियाँ’ ||
  •          ‘पेट’ बड़ा है,’जोंक’ सा ‘मोटा’-
  •  खाते रोज ‘हराम की’ ||
  •    जय बोलो श्री राम की !
  •         जय बोलो श्री राम की !!३!!

  •    
  •    हर दिन ‘मारामारी’ करते |
  •   ‘नेताओं’ से ‘यारी’ करते ||
  •    चबा के ‘बीड़ा’,’खूनी कत्था’-
  •    ‘मोटी’,’हज़म सुपारी करते’ ||
  •    ‘मालिक’ के ‘दुम छल्ले कुत्ते’-
  •    ‘निभा के’,’रीति गुलाम की’ ||
  • जय बोलो श्री राम की !
  •   जय बोलो श्री राम की !!४!!

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  •  
  •    दफ्तर में शतरंज खेलते |
  •    
  • ‘बॉस’की‘झिड़की’ रोज़ झेलते ||
  •  
  •   ‘भारी जेब’ ले घर में आ कर-
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  • ‘लगा के मक्खन’,‘दण्ड पेलते’ ||
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  •    मुफ़्त में ‘मेहनताना’ मिलता-

  •    इन्हें पड़ी क्या काम की !!

  •  जय बोलो श्री राम की !

  •     जय बोलो श्री राम की !!५!!
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  •  ‘छू कर पाँव’, ‘गये जो मांगे’ | 

  •      दीवारों पर ‘सनदें’ टाँगे ||
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  •     ‘बड़ा सिलसिला’,’सोर्स लंबा’-

  •     क्या है कमी ‘इनाम’ की !!

  •   जय बोलो श्री राम की !

  •     जय बोलो श्री राम की !!६!!
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साहित्य समाज का दर्पण है |ईमानदारी से देखें तो पता चलेगा कि, सब कुछ मीठा ही तो नहीं , कडवी झाडियाँ उगती चली जा रही हैं,वह भी नीम सी लाभकारी नहीं , अपितु जहरीली | कुछ मीठे स्वाद की विषैली ओषधियाँ भी उग चली हैं | इन पर ईमानदारी से दृष्टि-पात करें |तुष्टीकरण के फेर में आलोचना को कहीं हम दफ़न तो नहीं कर दे रहे हैं !!

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