(सरे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार)
त्याग आवरण लाज का, शील के वसन उतार !
रति मदिरा पी कर चली, लिये वासना-ज्वार !!
घर के बेटे-बेटियाँ, अल्पायु में
आज |
ढूँढ रहे हैं
भोग सब, दूषित बाल-समाज ||
नृत्य-कला के नाम पर,
नग्नवाद का नाच |
कामुक मुद्रा दिखाते, नर्तक बने पिशाच ||
नर्तकियाँ भी नाचतीं,
अपने अंग उघार |
‘रति’ मदिरा पी कर चली, लिये ‘वासना-ज्वार’ ||1||
विज्ञापन में नारियाँ, कर अभिनय दुश्शील |
विज्ञापन में नारियाँ, कर अभिनय दुश्शील |
नाम कमाती फिर
रहीं, कर नाटक अश्लील ||
शैशव के मन
पर पड़ी,
ऐसी मीठी चोट
|
भोले-निश्छल ह्रदय में,
भरे अनगिनत खोट |
दृश्य निर्वसन देख कर, कामी बने कुमार ||
रति मदिरा पी कर चली, लिये वासना-ज्वार ||2||
लक्षमन-रेखा तोड़ कर, तबियत का रंगीन
|
दुराचार रावण
बना,
मर्यादा से हीन ||
सिया-लाज का हरण कर,
कामी कई किशोर |
धूमिल कर के आयु का, गँदला करते भोर ||
काम-पिपाशा कर रही, सीमाओं
को पार |
रति मदिरा पी कर चली, लिये वासना-ज्वार ||3||
अच्छा है !
जवाब देंहटाएंबहुत हि बढ़िया , प्रसून सर धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (17.10.2014) को "नारी-शक्ति" (चर्चा अंक-1769)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रसूति !
जवाब देंहटाएंइश्क उसने किया .....
Vastvikta ekdum steek prastuti ...vakayi me deh pradarshan ke chakkar me paise ki bhagam-bhaag me stri bhool gyi hai ki laaj uska gahna hai ... Samaaz me chote bacche vasna me fase hai jise wo prem kahte hai... Sahmat hun aapki prastuti se !!
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