(सारे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार)
दे सबको ऐसी ‘कला’,
कर विनती स्वीकार !!
जो मन की ‘पीड़ा’
हरे, दे ‘अन्तर-उल्लास’ |
‘जीवित’ कर
‘गतिशीलता’, भरे ‘आत्मविश्वास’ ||
‘कलाकार’ अब ‘कला’
के, मत पालें वे ‘रोग’ |
‘ठग-विद्या’ से भरें
जो, सबके मन में ‘क्षोभ’ ||
‘धन-अर्जन’ हित जो
बने, मत ‘कोरा व्यापार’ |
दें सबको ऐसी ‘कला’,
कर विनती स्वीकार !!१!!
]
केवल अपने ‘भरण’ की,
हो न ‘घिनौनी नीति’ !!
‘कला-साधकों’ में
रहे, ‘शुभ चिन्तन’ औ ‘प्रीति’ !
‘परमार्थ’ से जुड़े
हों, सभी ‘कला’ के ‘रूप’ !
सब ‘पूरा आनन्द’
लें, ‘निर्धन’ हों या ‘भूप’ !!
‘कलाकार’ धन कमाकर,
करें सदा ‘उपकार’ !
दे सबको ऐसी ‘कला’,
कर विनती स्वीकार !!२!!
‘कला-शिल्प’ के
‘प्रदर्शन’, हों ‘प्रपंच’ से दूर !
जो ‘जन-गण’ के लिये
तो, रखें ‘प्रेम’ भरपूर ||
दूर रहें हर ‘कला’
से, ‘दम्भ’ औए ‘अभिमान’ !
अपनी ‘उन्नति’ भी
करें, रखें सभी का ‘मान’ !!
‘स्वाभिमान’ जिसका
सदा, बन जाये ‘आधार’ |
दे सबको ऐसी ‘कला’,
कर विनती स्वीकार !!३!!
उत्तम कामना लिए सुन्दर दोहा गीत !
जवाब देंहटाएंउम्मीदों की डोली !