मित्रों ! राजनीति न तो मेरी रुच का केन्द्र है ,न ही मेरी सोच का स्वाद |पर दिल्ली के चुनाव ने यह तो सिद्ध कर ही दिया है के, जनता बदलाव चाहती है तथा कुछ नयी की तलाश है उसे | वह हर नए 'राजनीति-योद्धा'में एक मसीहा की-एक अवतार' की जो उसे 'वर्तमान' की सडांध भरी दलदल से उबार सके |
०सारे चित्र 'गूगल-खोज' से)
(आप(आमआदमीपार्टी/ अरविंद केजरीवाल
की दिल्ली में शानदार विजय के उपलक्ष्य में )
भारत के ‘दिल’ में बसे, ‘आम आदमी’
आज |
पोंछ के आँसू फिर हँसे, ‘आम आदमी’
आज ||
राजनीति के क्षेत्र में, पनपी अच्छी
सोच |
‘लीक’ छोड़ कर कुछ हटे, ‘आम आदमी’ आज
||
‘दल-दल’ भी अच्छी लगे, माना रही
मलीन |
‘नीरज’ बन कर यदि लसे, ‘आम आदमी’ आज
||
कूटनीति में हो अगर, मक्कारी की छाप
|
मत अपनाए तब उसे, ‘आम आदमी’ आज ||
ला सकता है फिर नये, अच्छे कुछ बदलाव
कमर, इरादा कर कसे, ‘आम आदमी’ आज ||
‘उम्मीदों के बाग’ में, खिल कर हँसें ‘प्रसून” |
यही चाहता ‘आप’ से, ‘आम आदमी’ आज ||
सुंदर !
जवाब देंहटाएंलेना देना जब नहीं, करे तंत्र को बांस |
जवाब देंहटाएंलोकसभा में आप की, मानो सीट पचास |
मानो सीट पचास, इलेक्शन होय दुबारे |
करके अरबों नाश, आम पब्लिक को मारे |
अड़ियल टट्टू आप, अकेले नैया खेना |
सबको माने चोर, समर्थन ले ना दे ना ||
बहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंलाजवाब ... आमीन ... आम आदमी की ही बन के रहे आप ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...उम्मीद कायम रहे...
जवाब देंहटाएंके उपलक्ष्य में )
जवाब देंहटाएंभारत के ‘दिल’ में बसे, ‘आम आदमी’ आज |
पोंछ के आँसू फिर हँसे, ‘आम आदमी’ आज ||
राजनीति के क्षेत्र में, पनपी अच्छी सोच |
‘लीक’ छोड़ कर कुछ हटे, ‘आम आदमी’ आज ||
‘दल-दल’ भी अच्छी लगे, माना रही मलीन |
‘नीरज’ बन कर यदि लसे, ‘आम आदमी’ आज ||
कूटनीति में हो अगर, मक्कारी की छाप |
मत अपनाए तब उसे, ‘आम आदमी’ आज ||
ला सकता है फिर नये, अच्छे कुछ बदलाव
कमर, इरादा कर कसे, ‘आम आदमी’ आज ||
‘उम्मीदों के बाग’ में, खिल कर हँसें ‘प्रसून” |
यही चाहता ‘आप’ से, ‘आम आदमी’ आज ||
सशक्त प्रासंगिक रचना। बदलाव की बयार लिए।