(सारे चित्र 'गूगल-खोज से साभार)
(ख)सियासी सियार
============
राजनीति के कुछ चतुर, धूर्त ‘कुटिल सियार’ |
ये मतलब के सगे हैं, नहीं किसी के ‘यार’ ||
हैं मानो ‘चलचित्र’ के, ’नाटकीय सम्बन्ध’ |
नकली इनके हैं सभी, आपस के व्यवहार ||
अथिर ,वासना-पूर्त्ति हित, रखते ‘तन’ से मोह |
‘मन के सागर’ में उठा, क्षणिक ‘प्रेम का ज्वार’ ||
‘हथकण्डे’ रच कर कई, अर्जित करते ‘वित्त’ |
इनके पास अकूत धन, जिसका का कहीं न पार ||
‘वाणी’ मीठी ‘शहद’ सी, बोलें दे ‘रस’ घोल |
पर ‘कटुता’ घोलते, जब करते ‘व्यवहार’ ||
“प्रसून” ‘विष की बेलि’ के, जिनकी ‘मधुर सुगन्ध’ |
सूँघे इनको जो वही, हो जाये ‘बीमार’ ||
==================================
वाह ! बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंचित्र काव्य एक नै विधा ही रच रहे हैं आप।
जवाब देंहटाएंचित्र और काव्य में बहुत ताल मेल है !
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट चंदा मामा
नई पोस्ट विरोध