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दशों दिशाओं में वरदायी, सुख की
छटा हो प्यारी |
सारे जग को खुशी लुटाये, भारत-धरा
हमारी ||
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हरिश्चन्द्र
सी दानवीरता, हम सब को सिखलायें |
माता पिता
की सेवा श्रवण सी, सभी देश अपनायें ||
रन्तिदेव,
शिवि, कर्ण आदि की त्याग से भरी कथायें |
सिखलाती
हैं सेवा करना, भूल के निजी व्यथायें ||
मर्यादा की सीख राम से, सीखे
दुनियाँ सारी |
सारे जग को खुशी लुटाये, भारत-धरा
हमारी ||१||
कृष्ण से सीखें सदा सुदामा से निर्धन अपनाना |
भूल के वैभव अकूत धन का, मीत को गले लगाना ||
और बुद्ध से ‘राज-पाट’ तज, ‘राज-भवन’ से जाना |
‘शान्ति-खोज’ के लिये ‘भोग के सारे ‘स्वाद’ भुलाना ||
सत्य-अहिंसा से से व्यवहारों की महके फुलवारी |
सारे जग को खुशी लुटाये, भारत-धरा हमारी ||२||
चन्द्रगुप्त मौर्य से सीखें, साहस अडिग जुटाना |
सीखें हम चाणक्य से ‘मोती नीति के’ और लुटाना ||
और विक्रमादित्य से सीखें, ‘धर्म की अलख’ जगाना |
तथा हर्षवर्द्धन से सीखें, ‘दान की आन निभाना ||
और हठी हम्मीर के हठ पर, धर्म-धीर
बलिहारी |
सारे जग को खुशी लुटाये, भारत-धरा
हमारी ||३||
राणा प्रताप, शिवा सिखायें, स्वतंत्रता हित लड़ना |
मंगल पाण्डेय तात्या टोपे जैसे सीखें बनना ||
भगतसिंह, शेखर, बिस्मिल से, ‘बलि-वेदी’ पर चढ़ना |
गान्धी से हम सीखें,’सत्य-अहिंसा-व्रत’ पर अड़ना ||
“प्रसून” लक्ष्मी बाई सी हो
‘वीर-व्रती’ हर नारी |
सारे जग को खुशी लुटाये, भारत-धरा
हमारी ||४||
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सीखना तो शायद हम भूल ही चुके हैं !!
जवाब देंहटाएंशायद इसी लिये 'भारत'खोखला होता जा रहा है |
हटाएंबहुत सुन्दर कामना की है आपने इस गीत में।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रेरणा दायक अभिव्ताक्ति
जवाब देंहटाएंlatest post नेताजी सुनिए !!!
latest post: भ्रष्टाचार और अपराध पोषित भारत!!