मेरे प्रिय मित्रों, हाथ में फ्रेक्चर तथा पाँव सहित सारे दायें धड़ में कई घातक गुम् चोटें होने के कारण इतनी समय से आप से अलग रहा | ०१ जूँ को एक दुर्घटना से पाया यह कष्ट अभी भी है | ०१ जूँ से ०८ जुलाई तक लगे प्लास्तर के कटने के बाड़ अब कुछ दायें हाथ की उंगलियाँ चली हैं तो आप की सेवा में लाभान्वित हूँ |
नवारम्भ मंगल गीतों से कर रहा हूँ |कुछ समय बाद अपनी बात भी कहूंगा जो कहता आया हूँ | अब यथा -
सम्भव नियमित जुड़ा रहने का प्रयास रहेगा | शेष इश्वर की इच्छा ! आप सब का आशीर्वाद !! शुभकामनाओं
सहित एक आधुनिक बारहमासी प्रस्तुत है | बारहमासी की लोक-गीत- परम्परा को कुछ नये ढंग से प्रस्तुत करने का प्रयास है |आप का उत्साहवर्द्धक आशीष मिले |
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राम करे सारे भारत में पनपें खुशियाँ
सारी |
रहें नाचते, हँसते-गाते, हर प्रदेश नर
नारी ||
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रोज़गार की कमी नहीं हो, काम सभी पा जायें |
अनब्याही बेटियाँ सरलता से अपाना वर पायें ||
जिनके जनक न पैसे वाले, वे भी रहें न क्वाँरी
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राम करे सारे भारत में पनपें खुशियाँ
सारी ||१||
सावन
‘प्रेमी’ जोड़े झूलें, निर्भय प्यार के झूले |
‘प्रिय’ आ
जायें ‘प्रिया-मिलन’ को, परदेशों में भूले ||
‘अभिलाषायें’ पूरी कर लें, तपीं विरह
से ‘प्यारी’ |
राम करे सारे भारत में पनपें खुशियाँ
सारी ||२||
भादों में हर ‘राधा’ पाये, अपना ‘कुँवर कन्हाई’ |
‘प्यास’ बुझे, ‘जल-धार मिलन की’, बरसे राम दुहाई ||
‘गल बहियों’ में ‘हर्ष’ बटोरे, हर
‘सजनी’ मतवारी |
राम करे सारे भारत में पनपें खुशियाँ
सारी ||३||
क्वाँर और कातिक में हर इक वर्ष
रहे ‘खुशहाली’ |
सभी मनायें विजयादशमी औ जगमग
दीवाली ||
हर मन रहे उजाला उजला, कहीं न हो
अँधियारी |
राम करे सारे भारत में पनपें खुशियाँ
सारी ||४||
अगहन, पूस, माह की ठण्डक, ‘बसन्त’ ले कर आये |
खिला हुआ हर फूल मनोहर, महकी गन्ध लुटाये ||
फागुन में होली के रंग में तार कर दे
पिचकारी |
राम करे सारे भारत में पनपें खुशियाँ
सारी ||५||
‘सुगढ़ व्यवस्था जल- वितरण की’, सब
की प्यास बुझाये |
चैत और वैशाख, जेठ में ‘ताप’ न
कहीं सताये ||
‘मानसून के बादल’ जनते रहें, ‘समुन्दर
खारी; |
राम करे सारे भारत में पनपें खुशियाँ
सारी ||६||
हर अषाढ़ में ’व्यास’ लुटायें अपने
‘ज्ञान’ की गरिमा |
बनी रहे सब के अन्तर में, घटे न
‘प्रीति- मधुरिमा’ ||
मिले ‘चेतना’ उम लोगों को, जिन की मति
हो मारी |
राम करे सारे भारत में पनपें खुशियाँ
सारी ||७||
दूर रहें ‘अभिशाप’,
दिशायें, दस हों शुभ वरदायी |
मिलें
किसी को दुःख तो सुख से हो उस की भरपाई ||
हर मौसम में “प्रसून” महकें, विहँस
उठे ‘किलकारी’ |
राम करे सारे भारत में पनपें खुशियाँ सारी ||८||
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आमीन ! आमीन !! आमीन !!! आपकी हर दुआ कुबूल हो.
जवाब देंहटाएंसभी मित्रों को पुन:मुझे जोडने तथा मुझ से जुड़ने हेतु धन्यवाद ! वधाई ||यह
जवाब देंहटाएंमंगल-गीत भी मेरी मनोपीदा ही है |
बहुत सुन्दर मनोकामना भरी प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिवयक्ति.....
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