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दु:ख मत करें प्रवेश किसी भारतवासी के
द्वारे |
’समय’ हमारे भारत माँ की बिगड़ी दशा
सुधारे ||
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चन्दा बाँटे चन्दा बाँटे धुली चाँदनी मानो चाँदी पिघली |
बरसातों में किसी चमन को अब न उजाड़े बिजली ||
अमावसों में जलें दीप से झिलमिल
झिलमिल तारे |
’समय’ हमारे भारत माँ की बिगड़ी दशा
सुधारे ||१||
नदियाँ इसकी नित जल बाँटें, रहे
धरा मत सूखी |
‘मनोभावना’ किसी ह्रदय में रहे न
नीरस रूखी ||
युग युग तक सागर मेरे भारत के चरण
पखारे |
’समय’ हमारे भारत माँ की बिगड़ी दशा
सुधारे ||२||
असमय में ‘बरसात‘ बाढ़ से नाश के खेल न खेले |
या ‘अकाल’ का, ‘अनावृष्टि’ का दर्द न कोई झेले ||
अन्न-द रस ‘अमृत’ बरसाएँ, बस बादल
कजरारे |
’समय’ हमारे भारत माँ की बिगड़ी दशा
सुधारे ||३||
‘शरद’ सभी
तालों में सुन्दर कमल-“प्रसून” खिलाये |
‘बसन्त’
उद्यानों में सुमनों के मन को महकाये ||
नाचें ‘तितली’ मोहक तान भरें ‘भँवरे’
मतवारे |
’समय’ हमारे भारत माँ की बिगड़ी दशा
सुधारे ||४||
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अभिव्यक्ति को समझने हेतु धन्यवाद !
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