यज्ञ पाँच प्रकार के होते हैं |इन में से पैशाचिक यज्ञ सब से अनिष्टकारी व घिनौना होता है |अशुभ सामिग्री इस में हुती जाती है | अग्नि में जो कुछ हुत दें यज्ञ है | जैसा यज्ञ करें वैसा ही फल मिलेगा | नारी को जिन्दा जला कर क्या हम किसी शिव या शुभ शक्ति की कृपा की अपेक्षा कर सकते हैं | रचना में जलाते हुये सवाल हैं और उनके उत्तरों की और संकेत भी | सवालों के उत्तर स्वयम खोज कर इस सामाजिक समस्याओं का समाधान ढूँढ सकते हैं | (सारे चित्र 'गूगल-खोज'से साभार}
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‘लोभ-वासना की मलिन, ज्वाला’ रहे पजार |
जला रहे हो ‘प्रेम’ का, क्यों ‘आधा संसार’ ??
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पूज रहे
‘नैवेद्य’ से, कभी जला कर धूप |
जिस ‘देवी’ को
आप हैं, नारी ‘उस’ का रूप ||
‘नारी-पूजा’ की
जगह, किया है उस का होम |
‘धुयें’ से
मैले हो गये, ये ‘धरती’-‘व्योम’ ||
‘इस संस्कृति’ का किस तरह, अब होगा उद्धार |
जला रहे हो ‘प्रेम’ का, क्यों ‘आधा संसार’ ??१??
क्या नारी
के बिना नर,
सुखी और सम्पन्न ?
नहीं,
वृथा इस
के बिना, ‘स्वर्ण-रत्न-धन-अन्न’ ||
ज़िन्दा ‘उस’
को जला कर, किया जा रहा ‘राख’ |
‘भारत की
तहज़ीब’ की, गिरने लगी
है ‘साख’ ||
‘जननी’ जन कर
विश्व में, करती
है ‘उद्धार’ |
जला रहे हो
‘प्रेम’ का, क्यों ‘आधा
संसार’ ??२??
‘देवी-तन के होम’
से, क्या प्रसन्न है
‘अग्नि’ ?
नहीं,
‘देवता’ इस तरह,
होता है उद्विग्न ||
यह ‘पैशाचिक यज्ञ’ तो,
करेगा ‘युग’ का ‘नाश’ ||
‘मानवता’
इस ‘कर्म’ से,
होगी बड़ी निराश
||
‘जग-जननी’ का
तन अरे,
तुम क्यों रहे पजार ?
जला रहे हो
‘प्रेम’ का, क्यों ‘आधा
संसार’ ??३??
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सटीक दोहे !!
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