मुझे अच्छी तरह मालूम है कि दहेज़ देने वाला बाप कभी भी नहीं कहता कि उस ने दहेज़ दिया | बेटी के लिये वर ढूँढना भगवान ढूँढने से भी कठिन है | बेटी के विवाह के नाम पर माँ बाप बिक जाते हैं | हाँ कभी कभी चमत्कार की तरह बहुत महान उदार बाप मिल जाता है जो दहेज़ नहीं मांगता | यह बात सब कोम मालूम है किन्तु ध्यान नहीं देते | मेरे भावुक मन में इस 'भीषण कुप्रथा' की गहरी छाप है |आर्थिक भ्रष्टाचार का एक बड़ा अंश दहेज़ है |
(सारे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार)
(सारे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार)
================
‘दर्द’ सह
रहा अनगिनत, है
‘आधा संसार’ |
कितनी
पीड़ित बेटियाँ, सहतीं
‘अत्याचार’ ||
=================================
देख ‘सुता की
दुर्दशा’, कितना रोता
बाप |
‘मुआ’ अधमरा
कर गया, ‘दहेज़ का
सन्ताप’ ||
यह दहेज़
है आजकल, जैसे
‘विष की बेलि’ |
इसे ‘सभ्यता’
किस तरह, सकेगी बोलो झेल ||
रोको,
रोको, रोक लों,
यह ‘पापी व्यापार’ |
कितनी
पीड़ित बेटियाँ, सहतीं
‘अत्याचार’ !!१!!
‘दहेज़’ में धन लूट कर,
‘खून’ लिया है चूस
|
जैसे
दफ़्तर में कोई,
‘लोभी’ मांगे ‘घूस’ ||
‘सूत का मूल्य’ न माँग तू , बड़ा घोर यह ‘पाप’ |
‘मानवीय
सम्बन्ध’ को मत
‘पैसे’ से माप ||
इस दहेज़ का चलन
तो, है
धरती पर ‘भार’ |
कितनी
पीड़ित बेटियाँ, सहतीं
‘अत्याचार’ !!२!!
‘यह दहेज़ की
कुप्रथा’, एक ‘विषैला
साँप’ |
इसके ‘पैने
दंश’ से,
नारी उठी है
काँप ||
इस ‘अजगर’ की
‘दाढ़’ में, फँसे ‘नेह-खरगोश’ |
‘मृदुला संस्कृति’ मर मिटी, फिर भी हमें न ‘होश’ ||
‘प्रीति-कोमला’ पर पड़ी, ‘लोभ’ की
‘भीषण मार’ |
कितनी
पीड़ित बेटियाँ, सहतीं
‘अत्याचार’ !!३!!
===========================
बहुत ही बेहतरीन सार्थक संदेश देते दोहे,आभार.
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर .समाज को चाहिए की वह दहेज़ लेने वाले का सामाजिक वहिष्कार करें
latest postअनुभूति : विविधा
latest post वटवृक्ष
आप सब का धन्यवाद साथ देने के लिये !आजकल आलोचना को लोग कडवे करील की तरह ठुकराते हैं !आप सब की आलोचनात्मक धारा से मुझे साथ सा मिलता अनुभूत होता है !
जवाब देंहटाएं