Blogger द्वारा संचालित.

Followers

बुधवार, 15 मई 2013

झरीं नीम की पत्तियाँ (दोहा-गीतों पर एक काव्य) (ठ) आधा संसार | (नारी उत्पीडन के कारण) (१) वासाना-कारा(१०) बालिका-विवाह |


निर्धनता के कारण बालिका का विवाह अपने से बहुत बड़े अमीर व्यक्ति
के साथ होना सामान्य बात नहीं | अब यह परिस्थितियाँ नहीं हैं क्योंकि शिक्षा का प्रसार अब पर्याप्त है | उपेक्षित बहुत सर्वहारा वर्ग के परिवार  ने आर्थिक तंगी  भुखमरी से पीड़ित द्वारा धंसे बेटी चुरा छिपा कर अमीर के हाथ्बेचे जाने की घटना कई वर्ष पूर्व झलकी में आई विशेषकर विदेशों की खबरों में |
(सारे चित्र 'गूगल-खोज'से साभार)
===============
मज़बूरी   की   देखिये,  निठुर   ‘निगोड़ी  मार’ |
समय से पहले ‘आयु के, जलधि’ में आया ‘ज्वार’ ||
===================================   
निर्धनता’  की  चोट  से,   हो  कर  उसने  तंग |
‘नन्हीं बियिया’  ब्याह  दी,  बड़े  विधुर  के  संग ||
बदन  ‘बेबसी’  का सुभग,  अंक  में  रहा  दबोच |
‘कच्ची  कली  अनार  की’,  दबी  ‘याग की चोंच’ ||
बेचारी  के  नयन   से,  बहती   है  ‘जल - धार’ |
समय से पहले ‘आयु के, जलधि’ में आया ‘ज्वार’ ||१||


‘निर्दय कामुक उंगलियाँ’, त्याग के ‘संयम-लाज’ |
एक    एक    नोचातीं,   ‘सुन्दरता   के   साज’  ||
मोटी    मोटी    भुजायें,   ‘क्जगर’    सी   स्थूल  |
‘छोटी  हिरणी’   दबी   है,   गयी  चेतना  भूल  ||
कोमल   ‘लज्जा - बीन’   के,  टूट  गये  हैं तार |
समय से  पहले ‘आयु के, जलधि’ में आया ज्वार’ ||२||


 ‘उम्र’ खेलने की अभी, लुटा के अपना ‘स्वत्व’ |
‘नन्हें उदर’  में  पालती,  ‘भार’   बना  ‘मातृत्व’  ||
अपनी  आयु  के  सुतों  की,   माता   बन  ‘हीन’ |  
उम्र   काटती  ‘सुख’  सभी,  लिये  ‘दुखोँ’  ने  छीन ||
‘यौवन’  में  विधवा  हुई,  सहती   ‘दुःख’ की ‘मार’ |
समय से  पहले ‘आयु के, जलधि’ में आया ज्वार’ ||३||
=====================================


1 टिप्पणी:

About This Blog

साहित्य समाज का दर्पण है |ईमानदारी से देखें तो पता चलेगा कि, सब कुछ मीठा ही तो नहीं , कडवी झाडियाँ उगती चली जा रही हैं,वह भी नीम सी लाभकारी नहीं , अपितु जहरीली | कुछ मीठे स्वाद की विषैली ओषधियाँ भी उग चली हैं | इन पर ईमानदारी से दृष्टि-पात करें |तुष्टीकरण के फेर में आलोचना को कहीं हम दफ़न तो नहीं कर दे रहे हैं !!

मेरे सभी ब्लोग्ज-

प्रसून

साहित्य प्रसून

गज़ल कुञ्ज

ज्वालामुखी

जलजला


  © Blogger template Shush by Ourblogtemplates.com 2009

Back to TOP