'ग्रन्थ-क्रम' में यह रचना बोलती है कि ब्लू फिल्म तथा सेंसर की छूट का अनुचित लाभ उठाने वाली कुछ फिल्में हद से गुजर रही है | संकेतों की बजाय सीधे आलिंगन चुम्बन आदि के प्रदर्शन कर के श्रृंगार रस का रूप घिनौना करे पाश्चात्य-संस्कृति का समर्थन कर के विनाश ही तो कर रही हैं | 'भारतीय नाट्य-शास्त्र' की ऐसी उपेक्षा 'भारतीय संस्कृति' की ही उपेक्षा है | चित्र 'यथार्थ' के मध्यम स्वरूप का प्रदर्शन करते हुये पोस्ट किये हैं |
(सारे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार)
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‘मानवता’ को छल
रहा, ‘फिल्मों का संसार’
|
’पशु-संस्कृति’ का हो रहा, बिलकुल ‘खुला’ प्रचार ||
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कुछ टी.वी. चैनल हुये, धन के बड़े गुलाम |
‘ब्रेक डाँस’
के नाम
पर, उगल रहे ‘रति-काम’
||
वित्त कमाने के लिये,
नारी ‘आधी नग्न’ |
‘सौदा’ कर ‘नारीत्व’ का,
‘स्वर्ण-रजत’ में ‘मग्न’ ||
कितना उच्छ्रंखल हुआ, ‘रस - राजा
श्रृंगार’ |
’पशु-संस्कृति’ का हो रहा, बिलकुल ‘खुला’ प्रचार ||१||
‘गुप्त ज्ञान’ खुलने लगा, सरेआम हर
ओर |
‘लाज का पर्दा’
हटा कर, ‘नारी’ ‘’हर्ष-विभोर’
||
निर्धन ‘बेबस नारियाँ’,
हो ‘पूँजी
की दास’ |
अपना ‘सब कुछ’ बेचतीं, ‘जो कुछ’ उन के पास ||
‘ब्लू फिल्मों’ का गरम है, ‘काला
चोर बज़ार’ |
’पशु-संस्कृति’ का हो रहा, बिलकुल ‘खुला’ प्रचार ||२||
‘सुख के साधन’ ढूँढने,
पाने ‘भौतिक भोग’ |
आये दिन हैं पालतीं,
‘धनी बनें’ यह ‘रोग’ ||
‘अंग-प्रदर्शन’
के नये,
करतीं कई ‘कमाल’ |
‘नर्तकियाँ’ धनवान हैं,
खूब कमा कर ‘माल’
||
‘ममता - मूर्ति’
छू रही, ‘ऊंची पाप
- कगार’ |
’पशु-संस्कृति’ का हो रहा, बिलकुल ‘खुला’ प्रचार ||३||
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बहुत सुन्दर व सटीक ,,यथार्थ
जवाब देंहटाएं’पशु-संस्कृति’ का हो रहा, बिलकुल ‘खुला’ प्रचार ||
---- वे इसलिए नंगे थे कि सिर्फ लंगोटी उपलब्ध थी, ये इसलिए नंगीं हैं कि हीरे लगी लंगोटियां खरीद अकें ..