(सारे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार)
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भटक रहा बेघर हुआ, अरे ‘सलोना प्यार’ |
हृदय ‘तिज़ोरी’ हो गये, औ चाहत ‘व्यापार’ ||
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‘प्रीति’ को घेरे हैं ‘निठुर, लोभी
अन्तर्द्वन्द’ |
जैसे ‘मैना’ स्वर्ण के, पिंजरे’ में हो बन्द ||
‘व्यवसायों के जाल’ में फँसे ‘नेह-सम्बन्ध’
|
‘रिश्तों की गर्दन’ फँसी, पड़े ‘स्वार्थ के फंद’
||
‘चमक-दमक’ से छिप गये, ‘नैसर्गिक व्यवहार’
|
हृदय ‘तिज़ोरी’ हो गये, औ चाहत ‘व्यापार’ ||१||
‘वित्त्वाद के पत्थरों’,
की यों पड़ी है चोट |
‘कोमल कोंपल प्रेम की’,
पाने लगी कचोट ||
क्यों ‘पैसों की पोटली’,
मन पर ली है लाद |
‘बोझ’ तले दबने लगी, है
‘प्रियतम की याद’ ||
यन्त्रों के इस शोर
से, दबी ‘भ्रमर-गुंजार’ |
हृदय ‘तिज़ोरी’ हो गये, औ चाहत ‘व्यापार’ ||२||
‘चिन्तन’ को जकड़े हुये, ‘सोने की जंजीर’ |
तथा ‘पराये दर्द’ में, बहे
न
दृग
में नीर ||
‘जज्वे’ ठण्डे हो गये, ‘अपनेपन’ के आज |
‘बर्फ़ की सिल्ली’ बन गये, ‘प्रीति के मधुर मिजाज़’ ||
चलो ‘दिलों’ में
हम करें, ‘गरम जोश बौछार‘ |
हृदय ‘तिज़ोरी’ हो गये,
औ चाहत ‘व्यापार’ ||३||
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.भावात्मक अभिव्यक्ति आभार नवसंवत्सर की बहुत बहुत शुभकामनायें रिश्तों पर कलंक :पुरुष का पलड़ा यहाँ भी भारी .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MANजाने संविधान में कैसे है संपत्ति का अधिकार-1
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति | शुभकामनायें .नवसंवत्सर की बहुत बहुत शुभकामनायें हम हिंदी चिट्ठाकार हैं
जवाब देंहटाएंBHARTIY NARI
PLEASE VISIT .
आपके दोहे अच्छे लगे -सुन्दर सार्थक प्रस्तुति !
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