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सोमवार, 25 मार्च 2013

पिया की होली |(दो गीत)(२) डालो ‘प्यार का रंग’ पिया’



आज गाँव गाँव आंचलिक लोक भाषा(बोली) के स्थान पर खड़ीबोली का प्रचलन है यानी नागरी हिन्दी का व्यापक विकास हो चुका है | प्रचलित भाषा ही उपयोगी होती है | उसे नयी संतति स्वीकार करती है | लीजिये होली के माहौल में रस-भीना यह दूसरा लोक-गीत खड़ीबोली का !  
(अधिकाँश चित्र 'गूगल-खोज' से साभार) 
   
आओ मुझ पर डालो ‘प्यार का रंग’ पिया !
तुम चलकर होली खेलो मेरे संग पिया !!

!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

‘चाहत’ में देखो ‘प्रियतम’, ‘तूफ़ान’ उठा !
‘मन-सागर’ में ‘ज्वार सा विकल उफान’ उठा ||
इसे रोकने में ‘मर्यादा’ बेबस है |
चलो ‘मिलन’ का कर लें कोई ढंग पिया !
‘अंगड़ाई’ ले जागा हुआ ‘अनंग’ पिया | 
तुम चलकर होली खेलो मेरे संग पिया !!१!!



 हटो पिया ये सारी सखियाँ देख रहीं |
तानें जिनमें, ऐसी नज़रें फेक रहीं ||
‘प्रेम-केलि’ में लगता ‘बड़े अनाड़ी’ हो |
 बीच डगर में मुझको करो न तंग पिया !
रोको अपने मन में उठी ‘तरंग’ पिया !
तुम चलकर होली खेलो मेरे संग पिया !!२!!



दिया तुम्हीं ने सजनी  ‘नेह-निमन्त्रण’ है |
अब मुश्किल है देखो, थका ‘नियन्त्रण’ है ||
सजनी मेरी बात मान लों रूठो मत !
चलो उड़ायें ‘प्रीति की कहीं पतंग’ पिया !
गलियों में बाधक कितना हुड़दंग पिया !
तुम चलकर होली खेलो मेरे संग पिया !!३!!


लों, हम हारे और पिया तुम जीत गये |
हुआ ‘समर्पण’, ‘मनुहारी पल’ बीत गये ||
‘सोच’, ‘विवादों’ में क्यों प्रियतम उलझाई !
‘प्रेम की शान्त झील’ में उठी ‘तरंग’ पिया |
कोई जीते हारे ‘प्रीति की जंग’ पिया |
तुम चलकर होली खेलो मेरे संग पिया !!४!!


!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही बेहतरीन,होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  2. प्रभावशाली ,
    होली की बधाई !!!
    जारी रहें।

    शुभकामना !!!

    आर्यावर्त

    आर्यावर्त में समाचार और आलेख प्रकाशन के लिए सीधे संपादक को editor.aaryaavart@gmail.com पर मेल करें।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ...सादर!
    --
    आपको रंगों के पावनपर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!

    जवाब देंहटाएं
  4. होली की महिमा न्यारी
    सब पर की है रंगदारी
    खट्टे मीठे रिश्तों में
    मारी रंग भरी पिचकारी
    होली की शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं

About This Blog

साहित्य समाज का दर्पण है |ईमानदारी से देखें तो पता चलेगा कि, सब कुछ मीठा ही तो नहीं , कडवी झाडियाँ उगती चली जा रही हैं,वह भी नीम सी लाभकारी नहीं , अपितु जहरीली | कुछ मीठे स्वाद की विषैली ओषधियाँ भी उग चली हैं | इन पर ईमानदारी से दृष्टि-पात करें |तुष्टीकरण के फेर में आलोचना को कहीं हम दफ़न तो नहीं कर दे रहे हैं !!

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