Blogger द्वारा संचालित.

Followers

सोमवार, 25 मार्च 2013

पिया की होली |(दो गीत) (१) ‘अंग-अंग’ में ‘प्यार’ की भरो ‘उमंग’ पिया !



!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
अब की होली में यों डालो रंग पिया !
‘अंग-अंग’ में ‘प्यार’ की भरो ‘उमंग’ पिया !!
!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

मिलने की कामना’ ह्रदय में जागी है | 
लहर लहर  ‘संयम-सागर’ में बागी है ||
‘चाहत की सीपियाँ’ हैं देखो उतरायीं-

 चलो चलें मधुवन में दोनों संग पिया !!
अब की होली में यों डालों रंग पिया !
‘अंग-अंग’ में ‘प्यार’ की भरो उमंग’ पिया !!१!!


देखो कितना ‘प्रेम-दीवाना’ ‘भँवरा’ है |
 किसी फूल पर जाने को ‘बेसबरा’ है ||
एक दूसरे ने की ऐसी ‘पहुनाई’ 


‘रति’ से मिलने मानों चला ‘अनंग’ पिया ||
अब की होली में यों डालों रंग पिया !
‘अंग-अंग’ में ‘प्यार’ की भरो उमंग’ पिया !!२!!

बढ़े दिनों दिन प्रीति’ कभी भी घटे नहीं | ‘
लगन की डोरी’ टूटे मत या कटे नहीं ||
हो यह ‘मिलन’,‘अखिल जीवन’ को सुखदायी-


मन के गगन ऐसी उड़े ‘पतंग’ पिया||
 अब की होली में यों डालों रंग पिया !
‘अंग-अंग’ में ‘प्यार’ की भरो उमंग’ पिया !!३!!



‘रस की धारा’ बन कर ‘प्रीति का राग’ बहे |‘
नस-नस’ में ठाठें मारे ‘अनुराग’ बहे ||
‘मधुर मिलन’ की ऐसी बाजे ‘शहनाई’-

बाजें ‘हृदय’ में ‘वीणा और मृदंग’ पिया ||
अब की होली में यों डालों रंग पिया !
‘अंग-अंग’ में ‘प्यार’ की भरो उमंग’ पिया !!४!!




“प्रसून” वन-बागों में देखो हैं महके |
 ‘’झुण्ड कोयलों के’ हैं मदमाते चहके ||
 सोई ‘इच्छाओं’ ने ली है अंगड़ाई - 


भर दी है ‘उत्साह की एक तरंग’ पिया ||
अब की होली में यों डालों रंग पिया !
'अंग-अंग में ‘प्यार’ की भरो उमंग’ पिया !!५!!


!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!



1 टिप्पणी:

  1. बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति आपको होली की हार्दिक शुभकामनायें होली की शुभकामनायें तभी जब होली ऐसे मनाएं .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MAN

    जवाब देंहटाएं

About This Blog

साहित्य समाज का दर्पण है |ईमानदारी से देखें तो पता चलेगा कि, सब कुछ मीठा ही तो नहीं , कडवी झाडियाँ उगती चली जा रही हैं,वह भी नीम सी लाभकारी नहीं , अपितु जहरीली | कुछ मीठे स्वाद की विषैली ओषधियाँ भी उग चली हैं | इन पर ईमानदारी से दृष्टि-पात करें |तुष्टीकरण के फेर में आलोचना को कहीं हम दफ़न तो नहीं कर दे रहे हैं !!

मेरे सभी ब्लोग्ज-

प्रसून

साहित्य प्रसून

गज़ल कुञ्ज

ज्वालामुखी

जलजला


  © Blogger template Shush by Ourblogtemplates.com 2009

Back to TOP