(सारे चित्र 'गूगल-खोज'से साभार)
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प्यार नहीं
जो, मन में उपजी ‘कड़वी कड़वी रार’ |
भय्या काहे
का त्यौहार ?
काहे का
त्यौहार ?
भय्या काहे
का त्यौहार ??
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क्यों
‘नफ़रत’ से भरी तिज़ोरी, तूने मन की |
‘प्यार की
दौलत’ असली ‘दौलत’ है जीवन की ||
रूठे मीतों
को अपना कर |
‘प्रेम’
उघा ले घर घर जा कर ||
‘घृणा के
मसले’ मत बापस ले-
दे इस तरह
उधार !
भय्या तब
होगा त्यौहार ||
प्यार नहीं
जो, मन में उपजी ‘कड़वी कड़वी रार’ |
भय्या काहे का त्यौहार ?
काहे का
त्यौहार ?
भय्या काहे
का त्यौहार ??१??
सारे ‘शिकबे-गिले’ मेट ले मन के अपने |
दुश्मन से भी गले भेंट ले, देख वे सपने ||
क्यों बैठा ऐंठा शरमाकर |
उठ रे मिल तू सब से आकार ||
‘मानवता का मूल्य’ प्यार है-
यह समझे ‘संसार’-
भय्या बता
रहा त्यौहार |
प्यार नहीं
जो, मन में उपजी ‘कड़वी कड़वी रार’ |
भय्या काहे
का त्यौहार ?
काहे का
त्यौहार ?
भय्या काहे
का त्यौहार ??२??
‘प्यार’ से अपने वैरी भी तो सगे
हुये हैं ||
‘आठों योग’ प्यार के रंग में रँगे
हुये हैं |
‘मन मंदिर’ में ‘प्यार’ बसा कर |
दिल अपने ‘प्रियतम’ से लगाकर ||
सूर, कबीरा, तुलसी, मीरा-
सब ने किया
था ‘प्यार’-
हम को
समझाता त्यौहार ||
प्यार नहीं
जो, मन में उपजी ‘कड़वी कड़वी रार’ |
भय्या काहे
का त्यौहार ?
काहे का
त्यौहार ?
भय्या काहे
का त्यौहार ??३??
खिले “प्रसून”, गीत गाते हैं इन पर भँवरे |
‘हृदय-मिलन’ को ‘कीट-पतंगे’ भी बेसबरे ||
‘प्यार की क़ीमत’ सभी भुलाकर |
तू बैठा क्यों ‘गाल फुला कर’ ??
अपने ‘प्यार’ का बजा दे ‘डंका’-
जाकर ‘बीच
बज़ार’-
भय्या शुभ
होली-त्योंहार !!
प्यार नहीं
जो, मन में उपजी ‘कड़वी कड़वी रार’ |
भय्या काहे
का त्यौहार ?
काहे का
त्यौहार ?
भय्या काहे
का त्यौहार ??४??
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