(१)
सुख मय जीवन चाहिये, रखें सुरक्षित नीर |
बिना नीर के देखिये, होगा विश्व अधीर ||
होगा विश्व अधीर, बिना जल सब कुछ सूना |
रात चौगुना बढ़े दुःख, औ रात में दूना ||
जल प्रतीक गति का है,और गति ‘जीवन-पालक’ |
करें सब इस का संचय’, मिलेगा इससे हर सुख
||
(२)
जल के तीन स्वरूप हैं, ठोस, तरल औ भाप |
सभी रूप वरदान हैं,
इतना समझें आप ||
इतना समझें आप, एक
दूजे में बदले |
इन तीनों से जुड़े
जिन्दगी के सब मसले ||
तीनों रचते चक्र, धरा
के और गगन के |
ब्रह्मा, विष्णु,
महेश सदृश हैं रूप ये जल के ||
(३)
‘नारायण’ से हुआ है, यह सारा संसार |
जल का इक पर्याय है, शाश्वत शब्द है ‘नार’ ||
यह पर्याय है ‘नार’, अखिल जग के जो खिवैया |
‘नारायण’ भी स्वयं ‘नार’ से उपजे भैया ||
आज प्रदूषण करता
मैला धरा का आँगन |
इस से आकुल नदी
सरोवर में नारायण ||
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बहुत सटीक और सार्थक कुण्डलियाँ ....
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