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(१)पीले पत्ते
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‘भौतिक सुख’ छूने लगे, हैं ‘ऊँचा आकाश
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थोड़ा मन का भी करो, मेरे मित्र विकास
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‘मधुवन’
में ऐसा हुआ, ‘मौसम का उत्पात’ |
पीले
होकर झर गये, ‘सुन्दर सुन्दर’ पात ||
‘स्वप्न-सरोवर’
पर हुआ, ’निर्मम उल्का पात‘ |
जले ‘कामना’
के सभी, ‘जलजातों के गात’ ||
सहमे सहमे थम गये, ‘कुमुदिनियों’ के
हास |
थोड़ा मन का भी करो, मेरे मित्र विकास
||१!!
‘नागफनी’
आज़ाद है, है काँटों का राज |
मुरझाए
‘चम्पा-कुसुम’,और ‘मोगरे’ आज ||
‘हँस’
कहीं जा सो गये, जागा ‘गिद्ध-समाज’ |
इसी
लिये तो हो गया, ‘आतंकों का राज‘ ||
‘अपनी छाया’ पर नहीं, रहा तनिक विशवास
|
थोड़ा मन का भी करो, मेरे मित्र विकास
||२!!
‘नागफनी’
आज़ाद है, है काँटों का राज |
मुरझाए
‘चम्पा-कुसुम’,और ‘मोगरे’ आज ||
’हंस' कहीं जा सो गये, जागा ‘गिद्ध-समाज’ |
इसी
लिये तो हो गया, ‘आतंकों का राज‘ ||
‘स्वतंत्रता-उद्यान’ में, ‘कलह’ ‘कंटीली
घास |
थोड़ा मन का भी करो, मेरे मित्र विकास !!३!!
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बहुत सुन्दर दोहे हैं |साधुवाद
जवाब देंहटाएं.बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति . आभार मृत शरीर को प्रणाम :सम्मान या दिखावा .महिलाओं के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MAN
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जवाब देंहटाएंआज खैर नहीं है किसी की-
बढ़िया है आदरणीय--
आभार आपका ||-