हे ईश्वर तुम ही मिलो,ले कर गुरु का रूप!
गुरु तुम्हारी ‘शक्ति’ है,’ जगमें परम अनूप !!
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बिना तुम्हारे विश्व में, कौन है मेरे साथ ?
दो आशीष मुझे प्रभु, रख कर सर पर साथ !!
जिस पर गुरु का हाथ हो, होता वह निष्पाप |
उस का ‘तीनो शूल’ का, मिट जाता सन्ताप ||
ज्यों छाता करे,
हरे ‘जेठ की धूप’ ||
गुरु तुम्हारी ‘शक्ति’ है’ जग
में परम अनूप !!१||
‘चाल कुचाली’ चल चुका, हे गुरु ‘काल-कुचक्र’ |
सारे भारत पर पड़ी, दृष्टि ‘नियति’ की वक्र ||
प्रभु तुम्हीं तो राष्ट्र हो, तुम ही अखिल समाज !
इस समाज को ग्रस लिया, ‘कर्क रोग’ ने आज ||
‘कड़वा काव्य’ नीम सा, है औषधि स्वरूप
|
गुरु तुम्हारी ‘शक्ति’ है’ जग
में परम अनूप !!२||
यद्यपि लगती है बुरी, पीड़ा देती
चोट |
पर ‘कुम्हार’ की चोट से, हरता ‘घट’
का खोट ||
चोट से हिलते जब कभी, हैं ‘वीणा’
के तार |
उपजा करती है तभी, ‘मधुर मधुर
झंकार’ ||
और हाथ की चोट से, फटके ‘अन्न’ को
‘सूप’ |
गुरु तुम्हारी ‘शक्ति’ है’ जग में परम अनूप !!३||
आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (13-03-13) के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ |
guru kee mahima aprampar ..बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति आभार तवलीन सिंह की रोटी बंद होने वाली है .महिलाओं के लिए एक नयी सौगात WOMAN ABOUT MAN
जवाब देंहटाएंसादर नमन-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय
‘कड़वा काव्य’ नीम सा, है औषधि स्वरूप |
जवाब देंहटाएंगुरु तुम्हारी ‘शक्ति’ है’ जग में परम अनूप ||
गुरु की महिमा अपरम्पार है. सुंदर प्रस्तुति.