कल नेताजी सुभाषचन्द्र बोंस की जयन्ती थी |आज की विषम परिस्थिति में उन जैसा कोई अवतारी पुरुष ही सुधार कर सकता है | 'स्वार्थी भारतीय समाज के कुर्सी के लोभी सत्तावादी तत्वों के आतंरिक असहयोग ने उन की आकांक्षा को फलने फूलने नहीं दिया | आज कोई सुभाष बन् कर आये और उन के कार्यं को अंजाम दे | इस 'मनोकामना' के साथ -
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सुभाष चन्द्र बोस थे, नेताओं में अग्रगणी |
‘देशभक्ति-सम्पदा’ से
सम्पन्न परम धनी ||
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आजाद हिन्द फ़ौज, एकता की थी प्रतीक |
‘काल के पटल’ पर थी, ‘भाग्य-रेख-अमिट लीक’
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‘मुक्ति की देवी’ के पुजारी थे धीरवान-
याद करेगी उन्हें ,’भारत की यह अवनी’ ||१||
‘जाति-धर्म-वर्ण-भेद’
से ऊपर उठे थे |
‘आंगल जन्य पीड़ा’ के
निवारण में जुटे थे ||
‘तुम मुझे खून दो,
मैं तुम्हें आज़ादी दूं’-
कर्म के अनुरूप ही,
उनकी थी यह कथनी ||२||
‘विश्व की राजनीति’ के कुशल पुरोधा थे |
‘राजनीति’ से लड़ने वाले पटु योद्धा थे ||
‘भारत की जनता’ के बीच में सुशोभित यों-
‘सितारों की मणियों’ में, ‘दीप्ति’ मान ‘चन्द्रमणी’
||३||
‘इतिहास के रतनों
’ में ‘मूल्यवान महारतन’ |
‘जडता’ को ‘गतिवान’
करता उनका हर जतन ||
नर ही क्या, नारियों
में भे भी ‘पुरुषत्व’ भर-
‘हल्की कुनीति’
बीच, उनकी ‘नीति’ थी वज़नी ||४||
उनके जन्म-दिवस पर, हम उन्हें याद करें |
फिर जन्में भारत में, ‘प्रभु’ से फ़रियाद करें ||
‘अँधेरे के पिशाचों’ से जितनी जंग लड़े वे,
आज के ज़माने में, कौन लड़ेगा इतनी ??५??
बढ़िया है आदरणीय ||
जवाब देंहटाएंदेश के 64वें गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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आपकी पोस्ट के लिंक की चर्चा कल रविवार (27-01-2013) के चर्चा मंच-1137 (सोन चिरैया अब कहाँ है…?) पर भी होगी!
सूचनार्थ... सादर!