मेरे (एक समस्या मूलक काव्य)
'प्रश्न-जाल'में एक
नयी रचना का समावेश |
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‘सीधे सच्चे यार’ कहाँ से लाओगे ?
‘भोला भाला प्यार’ कहाँ से लाओगे ??
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मन में जला के ‘तृष्णा-अगिनी’ |
‘छल औ कपट के ताने भरनी’ ||
से बुन कर के ‘प्रीति-चदरिया’-
ओढ़ के चली ‘वासना-रमणी’ ||
‘निर्विकार रति’ नहीं रह गयी-
‘कामदेव अविकार’ कहाँ से लाओगे ?
‘सीधे सच्चे यार’ कहाँ से लाओगे ?
‘भोला भाला प्यार’ कहाँ से लाओगे ??१??
‘त्याग और
बलिदान’ की बातें |
‘प्रेम’
में ‘जीवन-दान’ की बातें ||
लगतीं सब
को ‘मिथक कथायें’
पीड़ा सह
‘मन-दान’ की बातें’ ||
‘शीरीं औ फ़रहाद’,
‘हीर’ से-
‘राँझे से किरदार’, कहाँ से लाओगे ??
‘सीधे सच्चे यार’ कहाँ से लाओगे ?
‘भोला भाला प्यार’ कहाँ से लाओगे ??२??
दिल ‘पठार’ हैं, पत्थर से हैं |
‘नीर’ रहित, ‘सूखे सर’ से हैं ||
इन में ‘स्नेह’ के बीज न बोना-
‘मन’ ऊसर से, बंजर से हैं ||
‘पतझर वाली इन कुन्जों’ में-
‘बासन्ती व्यवहार’ कहाँ से लाओगे ??
‘सीधे सच्चे यार’ कहाँ से लाओगे ?
‘भोला भाला प्यार’ कहाँ से लाओगे ??३??
‘ओछी सोच’ औ ‘ओछी करनी’ |
जैसी ‘करनी’, वैसी ‘भरनी’ ||
‘श्रद्धा’, ‘आस्था’ ‘मैल’ में लिपटीं-
कीचड़ सी
‘निष्ठा-वैतरणी’ ||
‘पाप’ पखारे, ‘चित्त’ निखारे-
‘पावन गंगा धार’ कहाँ से लाओगे ?
‘सीधे सच्चे यार’ कहाँ से लाओगे ?
‘भोला भाला प्यार’ कहाँ से लाओगे ??४??
‘चित्त’ में मैली पली ‘कामना’ |
लोभ-स्वार्थ मय हर ‘उपासना’ ||
‘ज्ञान के अंजन’ में है ‘मिलावट’
व्यर्थ है इन से ‘नयन’ आंजना ||
‘धृतराष्ट्रों’ के संचालन में-
‘आँखों’ में ‘उजियार’ कहाँ से लाओगे ??
‘सीधे सच्चे यार’ कहाँ से लाओगे ?
‘भोला भाला प्यार’ कहाँ से लाओगे ??५??
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