(आजकल 'प्रेम-मैत्री' का भी इस 'मशीनी वित्त्वादी युग' में 'व्यवसायीकरण' हो गया है | दोस्त दोस्त की जेब पर 'नज़र' अधिक रखता है, उसके 'जज्वों' को दिल में कम स्थान देता है | 'मस्तिष्क', 'ह्रदय' पर हावी है |
(सारे चित्र 'गूगल-खोज'से साभार)
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‘मित्रों’
के ‘सीने’ में मिलता
-
‘छल’ ज्यादह, ‘अनुराग’ है कम |
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‘गरम जोशियाँ’ नहीं ‘प्यार’ में |
‘फीकापन’ है हर ‘दुलार’ में ||
‘यार’ मिले पर, ‘सच्ची यारी’-
नहीं मिली है, किसी ‘यार’ में ||
‘सुलगी गीली लकड़ी’ से ये-
‘धुआँ’ अधिक है,‘आग’ है कम ||
‘मित्रों’
के ‘सीने’ में मिलता -
‘छल’ ज्यादह, ‘अनुराग’ है कम ||१||
‘आचरणों’
में ‘बेतरतीबी’ |
‘अखलाकों’
में ‘बेतहजीबी’ ||
घुमा
फिरा कर नहीं कहूँगा-
लोगो
सुन लों, ‘बात’ है ‘सीधी’ ||
‘व्यवहारों’ के ‘धरातलों’ पर-
‘जंगल’ ज़्यादह, ‘बाग’ हैं
कम ||
‘मित्रों’
के ‘सीने’ में मिलता -
‘छल’ ज्यादह, ‘अनुराग’ है कम ||२||
‘कान
फोड़ते संगीतों’ में |
‘धर्म-सभाओं’
के ‘गीतों’ में ||
‘दिन’
में है ‘व्यवधान’ है रहा-
‘रात’
में ‘विघ्न’ पड़ा ‘नीदों’ में ||
‘होड़’
मची है, ‘आवाजों’ की-
‘शोर’ अधिक है, ‘राग’ है कम ||
‘मित्रों’
के ‘सीने’ में मिलता -
‘छल’ ज्यादह, ‘अनुराग’ है कम ||३||
‘हुलियारों’ की ‘दुर्मति’ देखी |
हर ‘होली’ की ‘दुर्गति’ देखी ||
‘कलह-वैर की आग’ में जलती-
‘साँची प्रीति’ की ‘किस्मत’ देखी ||
एक-दूसरे पर उछली जो-
‘कीचड़’ ज्यादह, ‘फाग’ है कम
||
‘मित्रों’
के ‘सीने’ में मिलता -
‘छल’ ज्यादह, ‘अनुराग’ है कम ||४||
‘तितली-भँवरे’
आकर लौटे |
बेचारे,
‘दुःख’ पाकर लौटे ||
‘नागफनी’
के इन ‘फूलों’ से-
अपने
‘पर’, ‘नुचवा’ कर लौटे ||
‘रूप छबीला’, इन ‘फूलों’ में-
‘महका हुआ’ ‘पराग’ है कम ||
मित्रों’
के ‘सीने’ में मिलता -
‘छल’ ज्यादह, ‘अनुराग’ है कम ||५||
देख
देख, ‘मुरझाई कलियाँ’ |
‘भँवरे’
दुखी हैं, दुखी ‘तितलियाँ’ ||
‘काँटों’
से भर गयीं आज कल-
“प्रसून”
की ये ‘महकी बगियाँ” ||
‘घायल पंखुड़ियों’ में अब तो-
‘महका हुआ’ ‘पराग’ है कम ||
मित्रों’
के ‘सीने’ में मिलता -
‘छल’ ज्यादह, ‘अनुराग’ है कम ||६||
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बेहतर लेखनी !!!
जवाब देंहटाएंइस जटिल समय में और खासकर जटिल कविता के दौर में आपकी कविताएं आम जनता की भाषा में आम आदमी से संवाद करती दिखती हैं, आपने सरलता व सहजता बचाए रखी है कविता की गरिमा के साथ, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआपने कविता की आत्मा को बचाकर समाज के सच को सामने लाने और आम पाठक तक सीधी भाषा में पहंुचाकर सराहनीय कार्य कर रहे हैं
जवाब देंहटाएं