शरद शरद-ऋतु
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प्यारा प्यारा, सुन्दर सुन्दर, ‘शरद का
यह मौसम’ |
भर
भरता उमंग मन के अन्दर, ‘शरद का यह मौसम || मौसम'
‘जल का
दर्पण’ दिखलाते हैं, ‘ताल-नदी के कूल’ ||
आज
उपेक्षित घासों पर भी, खिल आये हैं फूल |
‘छटा’ बिखेर के, ‘हास’ लुटाते, हैं कितना अनमोल
!
‘इन फूलों की गोद’ में, ‘तितली-भँवरे’ रहे हैं
झूल ||
बना आज
है ‘सुख का सागर’, ‘शरद का यह मौसम’||
प्यारा
प्यारा, सुन्दर सुन्दर, ‘शरद का यह मौसम’ ||१||
विजयादशमी,
करवाचौथ, दिवाली के उपहार |
भाई-दूज, कातिकी-पूनम, का ले कर ‘प्यार’ ||
‘हर्ष और
उल्लास’ बटोरे, मगन हुई, यह आयी-
‘यह ऋतु’ लायी, ‘अपनी झोली’ में कितने ‘त्यौहार’
!!
चला बनाने, हर
घर ‘मन्दिर’, ‘शरद का यह मौसम’ ||
प्यारा
प्यारा, सुन्दर सुन्दर, ‘शरद का यह मौसम’ ||२||
कोयल, मैना, तोते, हरियल, गाते ‘चरों ओर’ |
‘पके धान के खेत’ सुहाते, भाते चारों ओर ||
मक्का, ज्वार, बाज़रा, तिल की पकी झुकी हर डाल |
इन डालों पे पन्छी, दाने खाते चारों ओर ||
लाया बड़ा ‘खुशनुमा
मंज़र’, ‘शरद का यह मौसम’ ||
प्यारा
प्यारा, सुन्दर सुन्दर, ‘शरद का यह मौसम’ ||३||
कनेर, कचनारों की डाली, हँसी, झुकी लजियाती
|
फूलों जैसी ‘फूली खुशियाँ’, ‘हर दिल’ में भर
जातीं ||
आसमान
में धूल नहीं है, औ कीचड़ धरती पर-
‘हर बगिया’, ‘सुन्दर “प्रसून” के गुच्छों’
से सज जाती ||
लेता है सब के मन को हर, ‘शरद का यह मौसम’ ||
प्यारा
प्यारा, सुन्दर सुन्दर, ‘शरद का यह मौसम’ ||४|| || ||
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सुन्दर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंबधाई भाई जी ||