(सारे चित्र 'गूगल-खोज से साभार)
ज्ञान,बिना गुरु, कभी न होता |
बिना प्रेम के कहीं जगत में,नहीं किसी की क्षेम ||१||
बिना प्रेम के शान्ति नहीं है,बिना शान्ति न ध्यान |
बिना ध्यान धारणा अधूरी,आराधन निष्प्राण ||२||
बिन आराधन, मन के दर्पण की न छंटेगी धुन्ध |
बिना स्वच्छ मन, इस जीवन में व्याप्त रहता द्वन्द ||३||
और द्वन्द से,झील चित्त की,मैली है पारान्ध |
जिससे धुँधले हो जाते हैं,प्रभु-प्रेम-अनुबन्ध ||४||
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ज्ञान,बिना गुरु, कभी न होता |
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ज्ञान,बिना गुरु कभी न होता,न है ज्ञान-बिन, प्रेम |
बिना प्रेम के कहीं जगत में,नहीं किसी की क्षेम ||१||
बिना प्रेम के शान्ति नहीं है,बिना शान्ति न ध्यान |
बिना ध्यान धारणा अधूरी,आराधन निष्प्राण ||२||
बिन आराधन, मन के दर्पण की न छंटेगी धुन्ध |
बिना स्वच्छ मन, इस जीवन में व्याप्त रहता द्वन्द ||३||
और द्वन्द से,झील चित्त की,मैली है पारान्ध |
जिससे धुँधले हो जाते हैं,प्रभु-प्रेम-अनुबन्ध ||४||
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'नज़र,नज़रिया'आप के,बड़े भले हैं मीत!
जवाब देंहटाएंइसी लिये तो भा गया, यह 'साधारण गीत' ||
बन्धु,गीत यह दिल मेरा,आप ने लिया चुराय |
'इतनी प्यारी चोरियां',काश सभी कर पायं !!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति... सुप्रभात!
जवाब देंहटाएंमीत,तुम्हारा स्नेह 'अमर पारस मणि' सा है |
जवाब देंहटाएं'वीराने' में किसी 'महकते चन्दन' सा है ||
अब लगता है ,मीत, 'तुम्हारा भी पवन मन' -
बिलकुल ही हूबहू,'हमारे ही मन'सा है ||
शुभ प्रभात !!
जवाब देंहटाएंबिन आराधन, मन के दर्पण की न छंटेगी धुन्ध |
बिना स्वच्छ मन, इस जीवन में व्याप्त रहता द्वन्द ||३||....द्वंद्व
अब क्या मिसाल दूं मैं आपकी आशुकविताई की ,........एक रचना इटली की चील पे भी लिखिए जो भारत की संपदा पर दृष्टि ज़माए है ,अब गुजरात इसे लुभाए है ...
खूबसूरती से सजाई गयी रचना !!
जवाब देंहटाएंचित्र भी और भाव भी!!
सुंदर और सार्थक रचना हेतु बधाई स्वीकारें............
जवाब देंहटाएंगुरु की जिस पर हो कृपा, खुलते उसके भाग
पाय सफलता-मान-धन , अरु पाये अनुराग
अरु पाये अनुराग , सफल जीवन हो जाये
लक्ष्मी चल कर द्वार, सुखों के सँग में आये
हुई साधना सफल , सुमिर गुरुनाम शुरू की
खुलते उसके भाग, हो जिस पर कृपा गुरु की ||