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अजब 'राम की लीला' देख !
नाटक 'बड़ा रसीला' देख !!
'देवताओं के वश' में आया -
है 'दैत्यों का कबीला' देख !!
अजब 'राम की लीला' देख !!
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'राम' के वेश में 'रावन' है |
'आग' छिपाये 'सावन' है ||
धोखे से वह गयी छली |
तडफ रही जैसे मछली ||
तार तार हुआ दामन है |
बुझा हुआ इसका मन है ||
'सिया' के 'बेबस आँसू' से -
उसका 'आँचल' गीला देख !!
अजब 'राम की लीला' देख !!१!!
अजब 'राम की लीला' देख !!१!!
यह 'चोरों की कचहरी' है |
गाँव की, है- न शहरी है ||
भीड़ है बड़ी काजियों की |
धन से बिके पाजियों की ||
न्याय की देवी बहरी है ||
बेडी पहन के ठहरी है ||
'कुम्भकर्ण की नींद' में डूबा -
'न्याय-तंत्र' है ढीला देख !!
अजब 'राम की लीला' देख !!२!!
रसोई है कंगालों की | ||
भूखे प्यासे लालों की ||
पीड़ा इनकी कौन सुने-
सुन कर सिर क्यों, कौन धुनें ??
'बुझते हुए उजालों' की |
'टूटी हिम्मत वालों' की-
दाल न पकी बुझ गया चूल्हा-
फूटा हुआ पतीला देख !!
अजब 'राम की लीला' देख !!३!!
'वर्त्तमान' की बातें कर !
'प्यार भरी दिन रातें', कर !!
'बीती बात' विसार के चल !
मत लड़ने के लिये मचल !!
'साबुत', 'टूटे नाते' कर !
मत 'घातें- प्रतिघातें' कर !!
गड़े हुए शब यहाँ कई-
बस कर खोद न टीला देख !!
अजब 'राम की लीला' देख !!४!!
छलिया 'कपटी बाबा' है |
खाता 'मक्खन -मावा' है ||
पहले रसीद कटवा ले-
फिर चाहे जितना खा ले ||
'भण्डारा' क्या 'ढाबा' है |
अच्छा भला छलावा है ||
दुराचार छिप गये आड़ में -
चोला काला पीला देख !!
अजब 'राम की लीला' देख !!५!!
बिकनी में यों नारी है |
'बाड़ बिना ज्यों क्यारी' है ||
हलवा या कि मलीदा है |
देकर नोट खरीदा है ||
'रूप' का यह 'व्यापारी' है |
'खुल कर', 'लाज उतारी' है ||
'मुन्नी' को बदनाम कर दिया -
'शील' बेचती 'शीला' देख !!
अजब 'राम की लीला' देख !!६!!
अजब 'राम की लीला' देख !!६!!
प्यार से या मक्कारी से |
या फिर मारामारी से ||
'अपराधों का फरिश्ता' है |
'जेल' से उसका 'रिश्ता' है ||
काम नहीं कुछ 'यारी' से |
ऐंठा है दमदारी से ||
"प्रसून"कल का गुण्डा बन गया -
नेता छैल छबीला देख !!
अजब 'राम की लीला' देख !!७!!
अजब 'राम की लीला' देख !!७!!
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