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शनिवार, 13 अक्तूबर 2012

बाल-काव्य (बच्चों की बगिया) (१)गुलदस्ता खिली प्रीति का (मेरी प्यारी पौत्री रितिका के प्रथम जन्म-दिवस पर)





गुलदस्ता 'खिली प्रीति' का




(मेरी प्यारी पौत्री रितिका के प्रथम जन्म-दिवस पर)


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यह ‘गुलदस्ता’ खिला ‘प्रीति’ का |

इस का ‘प्यारा नाम’ है रितिका ||


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इसके पहले जन्म-दिवस पर |

देखो, झूम उठा सारा घर ||

छोटे से परिवार में कितनी-

खुशियों के गूँजे ‘मीठे स्वर’ ||

यह इस ‘घर रूपी सागर’ की-

‘मोती वाली कोई सीपिका’ ||

इस का ‘प्यारा नाम’ है रितिका ||१||


 

यह है सुन्दर फूल सी प्यारी |

इस से महकी ‘घर की क्यारी’ ||

यह जब से आई है घर में-

हुआ है ‘घर-आँगन’ ‘फुलवारी’ ||

यह है मानों,’अन्धेरे में-

‘जगमग दीपक’ कोई ‘ज्योति’ का ||

इसका प्यारा नाम है रितिका ||२||


यह आई तो ‘भाग’ जग गये |

ज्यों ‘वीणा के राग’ जग गये ||

जैसे, पतझर बीता,सूने-

सोये सोये बाग़ जग गये ||

यह खिलती, मालती की कोई-  

लगती है ‘सुन्दर सी लतिका’ ||

इसका प्यारा नाम है रितिका ||३||




हर रिश्ते को खूब निभाती |

नहीं झिझकती, न शर्माती ||

प्यार से कोइ हाथ बढाये-

किलक के,सब की गोद में जाती ||

जब यह ‘पूछी बात’ बता दे-

करती है ‘आभास जीत का’ ||

इसका प्यारा नाम है रितिका ||४||


है ‘नटखट’ पर ‘सीधी सादी’ |

माता पिता की 'साहब जादी' ||

ताई,ताऊ,बुआ की प्यारी-

इसे चाहते दादा-दादी ||

सदा मोहती है मन सबका-

इसका प्यारा नाम है रितिका ||५||


यह है कितनी भोली भाली |

जो भी ‘चीज़’ उठाई,खा ली ||

जब बजता मन चाहा गाना-

उठती नाच,बजा कर ताली ||

सब इसको जब देख के हँसते-

बढ़ जाता है मज़ा गीत का ||

इसका प्यारा नाम है रितिका ||६||




इसका भैया गोद खिलाता |

जब रोती है, तब दुलराता ||

पकड़ के उँगली कभी चलाता |

बिठा के कन्धे पर इठलाता ||  

उसे नोचती,प्यार दिखाती-

करती है ‘इज़हार’ ‘प्रीति’ का ||

इसका प्यारा नाम है रितिका ||७||

                               
                                                                        


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2 टिप्‍पणियां:

  1. Ritika ke janmadin par badhiya foto or rachana ...janmadin par badhai or shubhakamanaye ...

    जवाब देंहटाएं
  2. स्नेह आपका,बच्चों के प्रति सराहनीय है !
    शिउभ आशीष और यह ममता वांछनीय है ||

    जवाब देंहटाएं

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साहित्य समाज का दर्पण है |ईमानदारी से देखें तो पता चलेगा कि, सब कुछ मीठा ही तो नहीं , कडवी झाडियाँ उगती चली जा रही हैं,वह भी नीम सी लाभकारी नहीं , अपितु जहरीली | कुछ मीठे स्वाद की विषैली ओषधियाँ भी उग चली हैं | इन पर ईमानदारी से दृष्टि-पात करें |तुष्टीकरण के फेर में आलोचना को कहीं हम दफ़न तो नहीं कर दे रहे हैं !!

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