=====================जि जिससे पायें दिशा देश के, सारे ही नर नारी |
मेरे वतन में आये कोई 'पैगम्बर
अवतारी' !!
‘वतन-परस्ती’ क्या होंती है वह हम को समझाये |
कलह की हर उलझी गुत्थी को जो आ कर सुलझाये ||
अपनी ‘प्रेम-मोहिनी’ से वह सब का हृदय रिझाये |
‘हिंसा की खूरेज़ आग’ की जलती ज्वाल बुझाये ||
उस के पीछे एक दिश चले देश की
जनता सारी |
मेरे वतन में आये कोई पैगम्बर
अवतारी !!१!!
‘अपनी वाणी के बादल’ से ‘सत्य-सरस’ बरसाये |
‘भड़काऊ भाषण’ की ‘बिजली’, जनता पर न गिराये ||
डींग हाँक कर ‘मत झूठी बातों’ से गाल बजाये |
पाखण्डों के जाल बिछा कर, हम को जो न फँसाये ||
अपने ‘दुर्मुख’ से मत उगले, जहाँ
तहाँ ‘मक्कारी’ |
मेरे वतन में आये कोई पैगम्बर
अवतारी !!२!!
चाहे बजाये ‘’प्रीति-बाँसुरी’,
‘धनुष-वाण’ टंकारे |
ले ‘सुधार का चक्र’ हाथ में, देश
को मेरे सुधारे ||
‘प्रेम-अहिंसा-सत्य’ से ‘हिंसा औ
असत्य’ को मारे |
‘बाइबिल’ या ’क़ुरान’ से चाहे,
‘बिगड़ा धर्म’ सँभारे ||
कोई ‘ग्रन्थ’, किसी आयुध’ से, हर
ले विपदा सारी |
मेरे वतन में आये कोई पैगम्बर
अवतारी !!३!!
यह भारत
‘एकता की बगिया’, आकार इसे सजाये |
‘प्रीति-कोकिलाओं’
को जीवन दे, उनको चहकाये ||
मिटते
‘स्नेह-पराग’ रोक ले, कर के जतन बचाये |
मुर्झाये
“प्रसून”को जीवन, दे, उन को महकाये ||
वर्षों से दुःख में डूबा ‘यह, मधुवन’,रहे सुखारी |
मेरे वतन में आये कोई पैगम्बर
अवतारी !!४!!
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जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना ! उत्कृष्ट !
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
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जवाब देंहटाएंबहुतसुन्दर , बढ़िया मंगल गीत
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