प्रिय ब्लोगर मित्रों, बेटी के वैवाहिक क्रिया कलाप और लंबी शीत-जन्य बीमारी से निवृत्त हो कर आप की सेवा में पुन: क्षमा याचना सहित उपस्थित हूँ |इस रचना में दुखोँ की ठण्ड और सुख की गर्म धुप के संघर्ष के बाद सम शान्त बासंती धुप का स्वागत किया है |(सारे चित्र गूगल खोज से उद्धृत)
******************
बहुत दिनों के बाद ‘सूर्य’ ने हास बिखेरा धरती पर |
बहुत दिनों के बाद ‘धूप’ ने किया बसेरा धरती पर ||
****************************************
भीषण
सर्दी फैलाने में
जब मानों ‘हेमन्त’ थका |
‘अपने अनुज’ को देखा असफल, ‘शिशिर’ सहन कर
नहीं सका ||
‘शीतलता
के दैत्य’ बटोरे,
करने उस की
मदद चला-
जन को दुःख
देने, सबको जन उस ने घेरा
धरती पर |
बहुत दिनों के
बाद ‘सूर्य’ ने
हास बिखेरा धरती पर |
बहुत दिनों के बाद
‘धूप’ ने किया बसेरा
धरती पर ||१||'
कई रोज़ तक ‘शिशिर’
ने ‘कोहरे का आतंक’
मचाया था |
‘मायावी छलिया’ ने
‘छल का ठण्डा
खेल’ रचाया था||
‘बर्फीली बरछी ‘
से घायल,
‘ताप’ को कर, सन्ताप दिया –
‘अमन- चैन’ को लूट
के पामर बना
‘लुटेरा‘ धरती पर ||
बहुत दिनों के
बाद ‘सूर्य’ ने
हास बिखेरा धरती पर |
बहुत दिनों के बाद
‘धूप’ ने किया बसेरा
धरती पर ||२||
‘भोजन की
तलाश’ में उड़ते
पन्छी मर कर गिरे कई |
गलियों- खेतों
में बेबस
पशु ठिठुर ठिठुर
कर मरे कई ||
निर्धन कुछ
लाचार मर गये, ‘भूख के काँटे’ में
फँस कर-
‘मौत की ब्न्छी’
ले कर आया,
‘काल मछेरा’ धरती पर-
बहुत दिनों के
बाद ‘सूर्य’ ने
हास बिखेरा धरती पर |
बहुत दिनों के बाद
‘धूप’ ने किया बसेरा
धरती पर ||३||
‘ जाड़ा’ बन
‘शैतान’ सभी को कर के
दुखी डराता था |
दिन में
भी ‘रातों का
काला सा साया’
मँडराता था ||
‘बसन्त की
पद-चाप’ सुनी तो,
बंधा ‘रोशनी’ को ढारस-
निर्भय हुआ प्रसन्न
हो गया, हँसा ‘सवेरा’
धरती पर |
बहुत दिनों के
बाद ‘सूर्य’ ने
हास बिखेरा धरती पर |
बहुत दिनों के बाद ‘धूप’ ने किया बसेरा धरती पर ||४||
‘दृश्य अनोखा और
सुहाना’ धरा पे
देखा है सब ने
|
फैला दिया है
उजला उजला रूप इस तरह
‘मौसम’ ने ||
किसी चित्र में रँग भरने से पूर्व, धरातल रँगने
को-
रंग सुनहरा ले
कर आया, कोई
‘चितेरा’ धरती पर ||
बहुत दिनों के
बाद ‘सूर्य’ ने
हास बिखेरा धरती पर |
बहुत दिनों के बाद
‘धूप’ ने किया बसेरा
धरती पर ||५||
बीता ‘समय प्रतीक्षा का’ अब जल्दी ‘बसन्त’ आएगा |
‘सौगातों
की झोली’ में
भर, ‘कलियाँ’-“प्रसून” लायेगा ||
बाग-बगीचों, बनों
में पादप-तरु औ बेलि खिलेंगे
अब-
‘घोर निराशा बीती, ‘आस’ ने, डेरा डाला धरती पर ||
बहुत दिनों के बाद ‘सूर्य’ ने हास बिखेरा धरती पर |
बहुत दिनों के बाद
‘धूप’ ने किया बसेरा
धरती पर ||६||
*************************************************
सुन्दर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय ||