कल नेट रिचार्ज की सुविधा समय से उपलब्ध न होने तथा फिर अचानक वोडाफोन का सर्वर फेल होने के कारण इंटरनेट से देर में जुडने के कारण रचना आज पोस्ट कर रहा हूँ | सब को नव वर्ष की हार्दिक वधाई के साथ मनो वेदना का मीठा स्वाद-
(सारे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार)
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हर कोई ‘इस नये वर्ष’ को, कुछ इस तरह मनाये |
‘उम्मीदों के भवन’ जो टूटें, फिर से उन्हें बनाये ||
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‘देश की जनता’ जुड कर, ‘मानवता
की शक्ति’ बटोरे |
बिखरे ‘मन के मोती’ टूटे, फिर
‘माला’ में जोड़े ||
कुछ करने का करे इरादा,
‘परिवर्तन’ लाने का-
पकड के माइक, चीख चीख कर, दे मत
‘भाषण कोरे’ ||
करे ‘कामकी
बात सार्थक’, ‘ओज’ भरे ‘वाणी’ में-
सोई ‘ताक़त’
जगे, उन्हें बस, ‘वह सन्देश’ सुनाये ||
हर कोई ‘इस
नये वर्ष’ को, कुछ इस तरह मनाये |
‘उम्मीदों
के भवन’ जो टूटें, फिर से उन्हें बनाये ||१||
‘विगत वर्ष’ की ‘कोई गलती’ अब न कोई दोहराये |
आपस की नफ़रत की खाई’ अब न कहीं गहराये ||
और एकजुट हो कर, ‘संगठना की शक्ति’ बढ़ाकर-
‘मानवता’ साहस कर, ‘सारी दानवता’ को हराये ||
मिला के
‘सुर’ में ‘सुर’, ‘सरगम’ हम, कर ‘आवाज़’ को ‘जिन्दा’-
‘प्यार’
कहीं सोया हो, उसको, बजा के ‘बिगुल‘ जगाये ||
हर कोई ‘इस
नये वर्ष’ को, कुछ इस तरह मनाये |
‘उम्मीदों
के भवन’ जो टूटें, फिर से उन्हें बनाये ||२||
कवियों
में कुछ ‘कालिदास’, कुछ ‘शेक्सपियर’ से उपजें |
और
‘चन्द्रवरदायी’, भूषण, ‘ओज’ है क्या, यह समझें ||
कई
‘जायसी’, ‘तुलसी’, ’मीरा’, हों ‘रसखान’, ‘सूर’ से-
‘गुप्त’,
‘प्रसाद’ से सुलझे हों ये, मत ‘विवाद’ में उलझें ||
‘भारतेंदु’
से, ‘शुक्ल’, ‘दास’ से, ‘प्रेमचंद’ जैसे कुछ-
‘काव्य-कला’,
साहित्य से अपने देश को तनिक उठायें ||
हर कोई ‘इस
नये वर्ष’ को, कुछ इस तरह मनाये |
‘उम्मीदों
के भवन’ जो टूटें, फिर से उन्हें बनाये ||३||
‘नाट्य-कला
के सिद्ध’ देश के कुछ ‘अभिनेता’ अच्छे |
‘सुधारवादी’
भरें ‘हृदय’ में, ‘भाव प्रेम के सच्चे’ ||
‘नग्नवाद’ के
थाल’ परोसें, रचें न ‘ऐसी फ़िल्में’-
‘कुवासना’
में रत हो कर के, जिनसे बिगाडें बच्चे ||
मत नाचें अब
‘नाच दिगम्बर’, ‘पंख उठे मोरों’ से-
‘मुन्नी’,’शीला’
को आधे से कम’ न वासन पहनायें ||
हर कोई ‘इस
नये वर्ष’ को, कुछ इस तरह मनाये |
‘उम्मीदों
के भवन’ जो टूटें, फिर से उन्हें बनाये ||४||
“प्रसून” सारे
देश में अपने, बने, ‘सन्तुलन’ ‘गति’ का |
तब होवे ‘सपना’
सच ‘अपने हिन्द की सही प्रगति’ का ||
‘न्याय’ और ‘व्यापार’,
‘प्रशासन, सब मिल देश सुधारें-
‘सद्उपयोग’ सदा
हो भारत में सब की ‘सन्मति’ का ||
‘व्यभिचारों’
पर ‘अंकुश’ लग कर, दशा देश की सुधरे-
‘भ्रष्टाचार’
की आग बुझे, हम ढंग कोई अपनाएं ||
हर कोई ‘इस
नये वर्ष’ को, कुछ इस तरह मनाये |
‘उम्मीदों
के भवन’ जो टूटें, फिर से उन्हें बनाये ||५||
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नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंआपकी यह पोस्ट 3-1-2013 को चर्चा मंच पर चर्चा का विषय है
कृपया पधारें
बहुत सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएं♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥
♥♥HAPPY NEW YEAR...नव वर्ष मंगलमय हो !♥♥
♥(_¸.•'´(_•*♥♥*•_)`'• .¸_)♥
खुबसूरत रचना ;
जवाब देंहटाएं"नया वर्ष मुबारक हो सबको "
"काश ! सभ्य न होते " http://kpk-vichar.blogspot.in
me aapka swagat hai.