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कितना ऊँचा
‘प्यार का नाता’ ‘महकी हुई
बहार का नाता ||
‘उजड़े उजड़े
सूने वन’ में-
भ्रमरों की
गुंजार का नाता ||
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‘दुःख-सुख’ दोनों अंग लगाये |
‘मोती वाले सीप’ छुपाये ||
‘सोये सोये बालू तट पर-
‘लहरों वाले
ज्वार’ का नाता |
‘दबे हुये
इज़हार’ का नाता ||
कितना ऊँचा
‘प्यार का नाता’ !!१!!
‘मन की पीड़ा’ सभी भुलाये |
‘सारे जग के दर्द’ सुलाये ||
‘घायल मन’ पर, ‘मरहम’ जैसी-
गई गयी ‘मल्हार’ का नाता |
‘श्रावण-रस-बौछार’ का नाता ||
कितना ऊँचा ‘प्यार का नाता’ !!२!!
‘मर्यादा
की रीति’ निभाये |
‘मन
के सारे भाव’ छुपाये ||
सह कर
‘दर्द’, बटोरे ‘संयम’-
‘उस मिथ्या इनकार’ का नाता |
‘मन की मौन पुकार’ का नाता ||
कितना ऊँचा ‘प्यार का नाता’ !!३!!
‘शब्दों’ में ‘आल्हाद’ मिलाये |
‘तान भरा उन्माद’ मिलाये ||
‘नयनों’ से ‘मन’ में जो उतारे –
‘उस कोमल श्रृंगार’ का नाता |
‘स्नेह-सुरस आगार’ का नाता ||
कितना ऊँचा ‘प्यार का नाता’ !!४!!
‘प्रीति’, ‘उँगलियों’ से सहलाये |
‘नेह के निश्चल तार’ हिलाये ||
‘सोई मधुरिम तान’ जगा कर-
‘बजते ह्रदय-सितार’ का नाता |
‘सरगम के सुर-सार’का नाता ||
कितना ऊँचा ‘प्यार का नाता’ !!५!!
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बेहतर लेखन !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
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