यह मेरा अपना विचार नहीं है | हज़ारों लोगों से वर्षों से बातचीत में प्राय: सभी कहते हैं कि सभीतो चोर हैं |सुधारें किसे ! इस काव्य में अपने क्रम में यह सर्ग अपने में एक कटु सत्य है |मुझे विशवास है कि आप इस श्रेणी में नहीं हैं |पूरे भारत के खास स्थानों में घूम कर कई ऐसे स्थानों में भी जा पहुंचा जहाँ ऐसे ही लोग मिले |शैतानों का भी अपना संसार होता है |
(सारे चित्र 'गूगल-खोज से साभार)
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‘यह दुनियाँ’, ‘चोरों का घर’ है |
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'चाहत' की चोरी होती है |
'चाहत' की चोरी होती है |
‘राहत’ की चोरी होती है ||
‘किस्मत’ की चोरी होती है |
‘अस्मत’ की चोरी होती है ||
यहाँ ‘लाज’ की चोरी होती है |
‘आवाज’ की चोरी होती है ||
यहाँ ‘प्राण’ चुराए जाते हैं |
यहाँ ‘मान’ चुराये जाते हैं ||
‘हर फन-मौला’ हैं चोर सभी –
हर ओर इन्हीं का आदर है ||
‘यह दुनियाँ’, ‘चोरों का घर’ है ||१||
‘ख़्वाबों’ की चोरी होती है |
‘भावों’ की चोरी होती है ||
‘अनुभव’ की चोरी होती है |
‘वैभव’ की चोरी होती है ||
‘अरमान’ की चोरी होती है |
यहाँ ‘शान’ की चोरी होती है ||
यहाँ ‘दाम’ चुराये जाते हैं |
यहाँ ‘काम’ चुराये जाते हैं |
अब क्या चोरी को बाकी है !
सब को ही चोरों का डर है
‘यह दुनियाँ’, ‘चोरों का घर’ है ||२||
यहाँ ‘छल’ से चोरी होती है |
यहाँ ‘बल’ से चोरी होती है ||
‘सम्बल’ की चोरी होती है |
यहाँ ‘बल’ की चोरी होती है ||
यहाँ ‘तोल’ की चोरी होती है |
यहाँ ‘मोल’ की चोरी होती है ||
यहाँ ‘दान’ चुराये जाते हैं |
‘सम्मान’ चुराये जाते हैं ||
‘चोरों की बस्ती’, चोर सभी-
जिनको मिल जाता ‘अवसर’ है ||
‘यह दुनियाँ’, ‘चोरों का घर’ है ||३||
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