भाई-दूज का टीका करने, बहन 'भ्रात-घर' आये |
'भाई-बहन' के प्यार' को यह त्यौहार 'अमर' कर जाये |
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घर से चल कर आयी बहना, मन के मोती धोये |
थाल में लिये मिठाई, 'मन' में 'शुभकामना' संजोये ||
'मीठे हर्ष' बटोरे आई बहन दुआयें करती-
'दुखड़े' कभी न जागें, 'खुशियाँ, और कभी मत सोयें ||
'दुर्भाग्य' का पाँव पड़े मत, कभी 'तुम्हारी देहरी'-
भैया के सौभाग- बाग' पर, 'आँच' कभी मत आये ||
भाई-दूज का टीका करने, बहन 'भ्रात-घर' आये ||१||
कभी न 'क्षत' हों 'प्रेम-भावना', अर्थ यही 'अक्षत' का |
पुष्पों का है अर्थ कि, महके रूप 'ह्रदय-मधुवन' का ||
'रोली', 'खुशियों की लाली' का रंग निखारे निशि-दिन-
तथा 'कलाबा' और करे दृढ़, 'बन्धन भाई बहन का' ||
'दीप आरती का' जीवन भर, 'जगमग ज्योति' बिखरे-
'सरस नारियल' उस की 'बुद्धि' में, 'मधुरिम स्नेह' बसाये ||
भाई-दूज का टीका करने, बहन 'भ्रात-घर' आये ||२||
'हर भैया' सद्गुणी बने औ,जीवन सफल बिताये !
हर बहना आचरणवती हो, रूप और गुण पाये !!
दोनों अपना 'आप' सुधारें, फिर यह देश सुधारें-
'व्रत' लें ' आदर्शों का, ऐसी 'भैयादूज' मनायें ||
'नयी सोच' में 'सोच पुरानी', 'मिसरी-जल' सी घोलें-
कुछ 'कुरीतियाँ' दूर करें, कुछ 'अच्छी रीति' निभायें ||
भाई-दूज का टीका करने, बहन 'भ्रात-घर' आये ||३||
कर के टीका, कहती बहना, अरे ध्यान धर भैया !
दान में मुझे न चाहिये सोना,चाँदी, या कि रुपैया !!
जब आऊँ तो 'प्यार' मुझे, परिवार सहित तुम करना !
खिले सुहाने "प्रसून" जैसे, हँसो उम्र भर 'भैया' !!
'कड़वाहट' घर करे न 'मन' में, मिठास साथ न छोड़े-
'ऐसा मीठा' खाये भैया,बहना उसे खिलाये ||
भाई-दूज का टीका करने, बहन 'भ्रात-घर' आये ||४||
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बहुत प्यारी रचनाएँ....
जवाब देंहटाएंभाई दूज की शुभकामनाएँ..
सादर
अनु
दीपावली पर्व-समुच्चय' की हार्दिक वधाई के साथ-
जवाब देंहटाएंमहिलाओं को चाहिये,रखें आत्म सम्मान |
'जिस्म-नुमाइश छोड़ कर,करें आत्म-उत्थान ||
करें आत्म उत्थान,लीक हर छोड़ पुरानी |
हर महिला बन सकती है पुरुषों सी सयानी ||
'सबला' का आभास कराओ,'अबलाओं' को !
मत समझो अब एक खिलौना, महिलाओं को !!