गान्धी जैसा कौन अब ?
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कुक्कुरमुर्त्तों’
से उगे, ‘नेता’ आज अनेक |
गान्धी
जैसा कौन अब, चले ‘लकुटिया’ टेक ??
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‘नेतागीरी’ आजकल, बना हुआ ‘व्यवसाय’ |
बने ‘झोपड़ी’ से ‘महल’, पा कर ‘मोटी आय‘||
कई गुना हैं कमाते, जितना खर्चें ‘दाम’ |
निस्स्वार्थ अब खर्च क्यों, कोई करे ‘छदाम’ ||
‘जुवा
चुनावी’ जीत ले, ‘छल के पाँसे’ फेंक |
गान्धी
जैसा कौन अब, चले ‘लकुटिया’ टेक ??१??
देखो ‘बगुले’ बन गये, ‘राजनीति के
हंस’ |
ये सब कसते ‘प्रेम के, तालों’ में
‘विध्वंस’ ||
अपनी अपनी ‘ढपलियों’, पर अपने ही
‘राग’ |
जगह-जगह हैं फूँकते, ‘लीडर’ ‘कलह की
आग’ ||
जला के
‘चूल्हा फूट का’, ‘रोटी’ रहे हैं सेंक |
गान्धी
जैसा कौन अब, चले ‘लकुटिया’ टेक ??२??
अगर
आपदा हो कहीं, अपना करें बचाव |
पा के
तट ये स्वयं तो, डुबा के सब की ‘नाव’ ||
‘कुटिल
कटारी’ हाथ ले, जिस की पैनी ‘धार’ |
‘मीठे’
बन कर काटते, हैं ‘आपस का प्यार’ ||
हमें बताओ
कौन है, धीर-वीर औ नेक ?
गान्धी जैसा कौन अब, चले ‘लकुटिया’ टेक ??३??
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राजनीति से उम्मीद न रखना ही सही है
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आदरणीय ||
नवरात्रि की शुभकामनायें-